
नई दिल्ली। केरल के सबरीमाला मंदिर को मंडला पूजा के लिए शनिवार शाम पांच बजे खोल दिया गया है। पिछली बार छावनी में तब्दील रहे सबरीमाला मंदिर में इस बार शांति है। सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश को लेकर विवाद के बीच यहां दर्शन करने पहुंचीं 10 महिलाओं को पुलिस ने वापस भेज दिया। 10 से 50 साल की इन महिलाओं को पुलिस ने पंबा में ही रोक लिया था। ये सभी महिलाएं आंध्र प्रदेश से आई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में हर उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश दिए जाने का आदेश दिया था। हालांकि, इस फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिकाओं पर 7 जजों की बड़ी बेंच सुनवाई करेगी।
Sabarimala Temple Board Opened Police Stopped 10 Women From Darshan :
केरल सरकार ने कहा था कि वह पब्लिसिटी के लिए आने वाली महिलाओं का समर्थन नहीं करती। उन्हें पुलिस सुरक्षा नहीं मिलेगी। केरल के पर्यटन और देवस्वोम मंत्री कडकमपल्ली सुरेंद्रन ने कहा कि सबरीमाला पूजा का स्थान है न कि प्रदर्शन का। यहां पर तृप्ति देसाई जैसी कार्यकर्ताओं के लिए अपनी ताकत दिखाने के लिए कोई जगह नहीं है। इसलिए राज्य सरकार मंदिर में ऐसे किसी भी व्यक्ति के प्रवेश का समर्थन नहीं करेगी जो वहां सिर्फ लोकप्रियता के मकसद से आया है।
मुख्यमंत्री ने कहा था- सुप्रीम कोर्ट जो कहेगा सरकार उसे लागू करेगी
केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने गुरुवार को सबरीमाला पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस मामले में कानूनी सलाह लेने का निर्णय लिया था। विजयन ने कहा था, “सुप्रीम कोर्ट जो कहेगा सरकार उसे लागू करेगी। हम समझते हैं कि 28 सितंबर 2018 का सुप्रीम कोर्ट का फैसला अभी भी लागू है, लेकिन इस फैसले का निहितार्थ स्पष्ट नहीं हैं। हमें विशेषज्ञ की राय लेनी होगी। इसके लिए हमें और समय की आवश्यकता होगी।”
सुप्रीम कोर्ट ने 7 जजों की बेंच को सौंपा मामला
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने गुरुवार को सबरीमाला केस में पुनर्विचार याचिका 3:2 के बहुमत से सुनवाई के लिए 7 जजों की बेंच को भेजी। चीफ जस्टिस गोगोई, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस एएम खानविलकर ने केस बड़ी बेंच को भेजने का फैसला दिया। जस्टिस फली नरीमन और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इस पर असहमति जताते हुए आदेश जारी किया था। हालांकि, इस आदेश में 2018 में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश दिए जाने पर रोक नहीं लगाई गई।