लखनऊ। तमाम सरकारी अस्पतालों में मरीजों के इलाज के लिए उन्हे जो इंजेक्शन और दवाएं दी जा रही थी उनके नमूने जांच में फेल पाए गए हैं। दरअसल लखनऊ प्रयोगशाला की रिपोर्ट में फार्मा कंपनियों की ओर से भेजी जा रही इंजेक्शन और दवाएं फर्जी पाए गए जिसके बाद खाद्य एवं औषधि विभाग ने सीएमओ को पत्र लिखकर इनके वितरण पर रोक लगाने को कहा है। नमूने की जांच में यह सामने आया है कि इंजेक्शन में जरूरी तत्व तय मानकों के अनुसार नहीं थे और दवाएं भी घटिया गुणवत्ता वाली साबित हुई। ऐसे में अब यूपी मेडिकल सप्लाइज़ कॉर्पोरेशन ने जिला अस्पताल ,सीएचसी, पीएचसी पर संबंधित दवाओं और इंजेक्शन के वितरण पर रोक लगाते हुए तत्काल प्रभाव से वापसी के आदेश जारी किए हैं।
दरअसल, खाद्य एवं औषधि विभाग ने जनवरी में जिला अस्पताल के स्टोर से डेक्सा मेथासोन इंजेक्शन का नमूना लिया और जब लखनऊ की प्रयोगशाला में इसे जांचा गया तो यह अधोमानक निकला। इसपर ड्रग इंस्पेक्टर विवेक कुमार ने कहा कि यह इंजेक्शन गठियाबात, अस्थमा एलर्जी जैसी बीमारियों के लिए इस्तेमाल होता है। जरूरी मात्रा में तत्व न होने पर इंजेक्शन फायदा नहीं करता है। वहीं, अगर लोग इसे बार-बार इस्तेमाल करते है तो एस्टरायड की वजह से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।
वहीं विभाग ने इस संबंध में जिला अस्पताल के स्टोर सुपरवाईजर को भी पत्र लिखते हुए कहा, इसके वितरण पर तत्काल रोक लगाने के लिए कहा है। औषधि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कंपनी के नोटिस का जवाब देने के बाद इस पर आगे की कारवाई की जाएगी। इस मामले में दोषी व्यक्ति को सात साल की सजा का प्रावधान है।