नई दिल्ली। वाराणसी से नामांकन खारिज होने वाले तेज बहादुर यादव के कार्यालय पर गुरुवार सुबह मायूसी छाई रहीं। हालाकि जैसे ही सूरज निकला और दिन चढने लगा वैसे ही हलचल शुरू हो गई। उन्होने मौजूदा वक्त देश के सबसे ताकतवर व्यक्ति के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला लिया था, हालाकि लड़ाई से पहले ही उन्हे मैदान से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
बता दें कि रोज़मर्रा की तरह किचेन में सुबह का नाश्ता बन कर अभी तैयार ही हुआ था कि समाजवादी पार्टी की दूसरी प्रत्याशी शालिनी यादव तेज बहादुर से मिलने आ गईं। जहां बंद कमरे में दोनों के बीच काफी देर तक गुप्त चर्चा हुई। हालांकि बाहर के कमरे में जहां आम दिनों में बेतरतीब बिछी दरी पर बड़ी लड़ाई के दांव पेंच की तैयारी होती थी, वहां सन्नाटा पसरा था। यहीं नहीं प्रचार के वक्त तेज बहादुर के पास जो दानपात्र रहता था, वो भी एक कोने पड़ा नजर आया।
वहीं जब शालिनी और तेज बहादुर यादव बाहर निकले तो वहां मौजूद पत्रकारों ने उन्हे घेर लिया। पत्रकार उन लोगों से कुछ सवाल पूछते हुए इससे पहले ही शालिनी यादव ने अपने बैग से राखी निकाली और तेज बहादुर को बांधा। उन्होने कहा कि तेजबहादुर जी पांच भाई हैं, लेकिन कोई बहन नहीं है। इसीलिए मैंने उन्हे राखी बांधकर भाई स्वीकार किया है। इस दौरान तेज बहादुर ने कहा कि मैं शालिनी यादव को जिताने और मोदी को हराने के लिए डोर टू डोर प्रचार करता रहूंगा।