नई दिल्ली। डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी की प्रत्याशी साई इंग-विन ने ताइवान के राष्ट्रपति चुनाव में दूसरे कार्यकाल के लिए जीत हासिल कर ली है। 57 फीसदी यानी 80 लाख से अधिक मत हासिल करने के बाद अपनी जीत की घोषणा करते हुए साई ने चीन को चेतावनी भी दी। केंद्रीय चुनाव आयोग के अनुसार, देश के 22 शहरों और काउंटी में करीब 19310000 मतदाता हैं। कुल मतदाताओं में छह फीसद 20 से 23 वर्ष आयु के बीच के हैं।
साई ने कहा, ‘मतदाताओं ने फिर से मुझे चुन साफ किया है कि बीजिंग ताइवान के लिए खतरा बनना बंद कर दे। शांति का अर्थ यह है कि चीन ताइवान पर बल प्रयोग की धमकियां देना छोड़ दे। मुझे उम्मीद है कि चीनी अधिकारी समझते हैं कि लोकतांत्रिक ताइवान और हमारी लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार खतरों व धमकियों को स्वीकार नहीं करेगी।’
रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार शाम तक जारी वोटों की गिनती में उनकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी खान ग्वो यी 38 फीसदी मत ही हासिल कर सकीं। कुओमिनटांग पार्टी की खान ग्वो ने अपने प्रचार में चीन के साथ तनाव कम करने का वादा किया था। जबकि डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी की साई ने साफ किया था कि वह चीन से करीबी रिश्ते नहीं चाहतीं।
रिपोर्ट के मुताबिक, साई की जीत ने साबित किया कि उनके चुनाव अभियान ने लोगों को चीन के इरादों से तेजी से सावधान किया। वहीं इससे चीन के अर्ध-स्वायत्त क्षेत्रों की स्वतंत्रता के लिए आवाज बुलंद होगी और हांगकांग में भी प्रदर्शन गति पकड़ेंगे।
चीन ने ताइवान को अलग-थलग करने की कोशिश की
चीन लगातार ताइवान को अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा है। चीन ने इसके कूटनीतिक सहयोगियों को दूर कर दिया। मौजूदा समय में दुनिया के केवल 15 देश ही ताइवान को मान्यता देते हैं। इसके पासपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र मान्यता नहीं देता। ताइवान को आर्थिक नुकसान पहुंचाने के लिए चीन ने अपने सभी नागरिकों का ताइवान द्वीप पर जाना बैन कर दिया है। ताइवान को स्वतंत्र राष्ट्र बनाने की मांग करने वाली कई कंपनियों को चीन सरकार ने दंडित दिया है।