Shri Krishna Janmabhoomi-Idgah Dispute : इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने श्रीकृष्ण जन्म भूमि कटरा केशवदेव के नाम से दर्ज ईदगाह की जमीन विवाद को लेकर मथुरा में दाखिल सिविल वाद को तय करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अंतरिम आदेश एवं पुनरीक्षण आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका वापस करते हुए निस्तारित कर दी है।
Shri Krishna Janmabhoomi-Idgah Dispute : इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने श्रीकृष्ण जन्म भूमि कटरा केशवदेव के नाम से दर्ज ईदगाह की जमीन विवाद को लेकर मथुरा में दाखिल सिविल वाद को तय करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अंतरिम आदेश एवं पुनरीक्षण आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका वापस करते हुए निस्तारित कर दी है।
याचिका की पोषणीयता के मामले में कोर्ट ने कहा इस मामले में पहले ही फैसला आ चुका है। ऐसे में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड व अन्य की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने याचिका में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है।
जानें क्या है मामला?
मथुरा कोर्ट (Mathura Court) में श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से दाखिल वाद को खारिज करने की मांग को लेकर शाही ईदगाह पक्ष (Shahi Idgah Party) ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। श्रीकृष्ण विराजमान के अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने बताया कि हाईकोर्ट शाही ईदगाह पक्ष (Shahi Idgah Party) द्वारा उनके मथुरा कोर्ट में दाखिल वाद को खारिज करने की मांग को लेकर याचिका पर फैसला सुनाया है। उन्होंने बताया कि केस की सुनवाई मथुरा जिला जज की अदालत में चल रही थी। मुस्लिम पक्ष के द्वारा जिला जज द्वारा केस की सुनवाई से संबंधित दिए गए निर्णय को होईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।
बता दें भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से सिविल जज की अदालत में 20 जुलाई 1973 के फैसले को रद्द करने और 13.37 एकड़ कटरा केशव देव की जमीन को श्रीकृष्ण विराजमान के नाम घोषित किए जाने की मांग की गई थी। वादी की ओर से कहा गया था कि जमीन को लेकर दो पक्षों के बीच हुए समझौते के आधार पर 1973 में दिया गया निर्णय वादी पर लागू नहीं होगा, क्योंकि उसमें वह पक्षकार नहीं था।
2020 में खारिज हुआ था वाद
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड (Sunni Central Waqf Board) की आपत्ति की सुनवाई करते हुए अदालत ने 30 सितंबर 2020 को सिविल वाद खारिज कर दिया था। जिसके खिलाफ भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से अपील दाखिल की गई। विपक्षी ने अपील की पोषणीयता पर आपत्ति की। जिला जज मथुरा की अदालत ने अर्जी मंजूर करते हुए अपील को पुनरीक्षण अर्जी में तब्दील कर दिया।