लखनऊ। राजनैतिक रसूख के नशे में हमेशा अकडकर चलने वाले बिजनौर के नगीना सपा विधायक मनोज पारस के गर्दिश के सितारे इस समय ठीक होने के नाम नहीं ले रहे हैं। क्योंकि कि अभी गैंगरेप के बहुचर्चित मामले में छह माह से अधिक जेल यात्रा करने के बाद 12 वर्ष पूर्व जनपद मुरादबाद के छजलैट बवाल के आरोप में कोर्ट में पेश न होने पर न्यायधीश ने जमानत के प्रार्थनापत्र को खारिज करते हुए आरोपी मनोज पारस को जेल भेज दिया।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के जनपद बिजनौर नगीना से सपा विधायक मनोज पारस को सपा सरकार के दौरान सत्ता की हनक में न्यायालय के आदेश को दरकिनार करना एक बार फिर भारी पड़ गया। उत्तराखण्ड में अपहरण के मांमले में 2017 में लगभग तीन माह पौडी जेल में कैद रहने तथा लगभग छह माह से अधिक दलित महिला से गैंग रेप के मामले में जेल यात्रा करने के बाद मुरादाबाद की कोर्ट ने एक बार फिर मनोज पारस को जेल भेज दिया।
2008 में मुरादाबाद के छजलैट में बवाल हुआ था जिसमें पूर्व मंत्री आजम खां के साथ मनोज पारस भी आरोपी बनाये गया था मुरादाबाद में चल रही मुकदमें की सुनवाई में मनोज पारस लगातार गैरहाजिर रहे जिस कारण कोर्ट ने उनके गैर जमानती वारंट जारी कर दिये थे। आरोपी सपा विधायक मनोज ने बीते दिन कोर्ट में सरेंडर कर जमानजत याचिका दाखिल किये जाने और बहस में लूज मोशन होने की बात कही जिसको एडीजे द्वितीय एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश अनिल कुमार वशिष्ठ ने अधिवक्ताओं के तर्को को खारिज करते हुए जमानत अर्जी को खारिज कर न्यायिक अभिरक्षा में मनोज पारस को मुरादबाद जेल भेज दिया। प्रार्थनापत्र खारिज होने की बात सुनते ही विधायक मनोज पारस के पसीने छूट गए।