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बिहार में संग्राम : मंत्री जीवेश मिश्रा के बयान पर आग बबूला मदन साहनी, बोले- हम दलाल नहीं जो तालमेल रखें

जेडीयू कोटे के मंत्री मदन साहनी ने बिहार में अधिकारियों पर बात न सुनने का आरोप लगाकर इस्तीफे की पेशकश कर दी। अब बीजेपी नेता व मंत्री जीवेश मिश्रा को अपनी सीमा में रहने की हिदायत दी है। बता दें कि मदन साहनी के अफसरशाही वाले आरोपों पर जीवेश मिश्रा से उनकी राय पूछी गई तो उन्होंने साफ कहा कि उनके विभागों में कोई अफसरशाही नहीं है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

पटना। जेडीयू कोटे के मंत्री मदन साहनी ने बिहार में अधिकारियों पर बात न सुनने का आरोप लगाकर इस्तीफे की पेशकश कर दी। अब बीजेपी नेता व मंत्री जीवेश मिश्रा को अपनी सीमा में रहने की हिदायत दी है। बता दें कि मदन साहनी के अफसरशाही वाले आरोपों पर जीवेश मिश्रा से उनकी राय पूछी गई तो उन्होंने साफ कहा कि उनके विभागों में कोई अफसरशाही नहीं है।

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मिश्रा ने कहा था कि यहां सिर्फ जनता और उनके द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों की ही चलती है। वही सरकार चला रहे हैं। किसी विभाग में हो सकता है। घर है तो किसी विषय को लेकर नोंक झोंक हुई होगी। लेकिन सरकार में कोई अफसरशाही नहीं है। जीवेश मिश्रा के इस बयान पर मदन साहनी आग बबूला हो गए और कहा कि ये विद्या वो अपने आप तक सीमित रखें, हम राजनीतिक प्राणी हैं कोई दलाल नहीं जो तालमेल रखें। हम उनको जानते हैं, हमारे जिले के ही हैं।

मदन साहनी ने आगे कहा कि जिस दवा के धंधे से वो जुड़े रहे हैं, हम उनसे ज्यादा जानकार हैं। उनको अपनी सीमा में रहना चाहिए। उनको दो-दो विभाग मिले हुए हैं, इसलिए वह ज्यादा खुश हैं। वह कौन होते हैं मुझसे प्रमाण पत्र लेने वाले?

बता दें कि शनिवार को एक निजी कार्यक्रम के तहत समाज कल्याण मंत्री मदन साहनी मुजफ्फरपुर में थे। वहीं श्रम संसाधन मंत्री जीवेश मिश्रा भी मुजफ्फरपुर में एक कार्यक्रम के दौरान आए हुए थे। इसी बीच बयानों का सिलसिला फिर से शुरू हो गया। बीजेपी और जेडीयू दोनों मंत्रियों के बीच तल्ख़ियां इतनी बढ़ चुकी हैं कि उन्हें सीमा में रहने की हिदायतें भी दी जा रही हैं। जेडीयू के मंत्री मदन साहनी का यह बयान कहीं न कहीं बिहार की राजनीति का पारा बढ़ाने वाला है।

मदन साहनी ने की थी इस्तीफे की पेशकश

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मंत्री मदन साहनी ने इस्तीफे की पेशकश करते हुए कहा था कि जब चपरासी नहीं सुनता तो अफसर की क्या बात करें। जब गरीबों का भला नहीं कर सकते, कुछ सुधार नहीं कर सकते तो फिर मंत्री पद पर रहने का क्या मतलब है? पार्टी में बने रहेंगे और मुख्यमंत्री ने जो पहचान दी है, उसे जिंदगी भर याद रखेंगे।

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