नई दिल्ली। अमेरिकी कांग्रेस में कश्मीर मुद्दे पर चल रही सुनवाई में भारत की वरिष्ठ स्तंभकार सुनंदा वशिष्ठ ने मजबूती के साथ अपना पक्ष रखा। उन्होंने भारत की कश्मीर नीति को अपने भाषण में खोलकर रख दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग रहा है। उन्होंने साफ किया कि कश्मीर के बिना भारत की कोई कल्पना नहीं की जा सकती। सुनंदा वशिष्ठ ने कहा है कि कश्मीर से 370 हटाने के फैसले से भारत को मजबूती मिली है।
उन्होंने कहा कि इससे कश्मीर में मानवाधिकारों की समस्या को हमेशा के लिए हल करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि कश्मीर तब से इस्लामिक स्टेट (आईएस) जैसे आतंक और क्रूरता का सामना कर रहा है जब पश्चिमी देशों को आतंक के बारे में मालूम नहीं था। उन्होंने बताया कि भारत की लोकतांत्रित साख काफी ऊंची है। हमने पंजाब और पूर्वोत्तर राज्यों में आतंक को हराया है।
सुनंदा वशिष्ठ ने गुरुवार को वाशिंगटन में टॉम लैंटोस एचआर कमीशन द्वारा आयोजित मानवाधिकार पर कांग्रेस की सुनवाई में कहा, ‘हमने आईएस के स्तर वाला डर और क्रूरता 30 साल पहले देखी है तब पश्चिम को आतंकवादी संगठन आईएस की क्रूरता के बारे में पता तक नहीं था। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि इस मामले पर सुनवाई आज यहां हो रही है।
क्योंकि मेंरे परिवार और मेरे जैसे हर व्यक्ति ने अपने घरों, हमारी आजीविका को खो दिया है। तब दुनिया उसपर चुप्पी साध रखी थी। उन्होंने आगे कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस्लामी आतंकवाद और कट्टरपंथियों के खिलाफ जंग में भारत की मदद करनी है, जिससे वहां मानवाधिकार की स्थिति बेहतर हो सके। उन्होंने साथ ही कहा कि कश्मीर में जनमत संग्रह कभी नहीं होने वाला है।
वशिष्ठ ने इसके पीछे तर्क देते हुए कहा कि एक जनमत संग्रह में पूरे समुदाय को निर्णय लेने के लिए एकजुट होने की आवश्यकता होती है, लेकिन इस मामले में कश्मीर का एक हिस्सा भारत में है दूसरा पाकिस्तान में, इसका एक हिस्सा चीन के पास भी है। सुनंदा वशिष्ठ अपने भाषण को खत्म करते हुए कहा कि भारत ने कश्मीर पर कब्जा नहीं किया है, वह हमेशा से भारत का अभिन्न अंग था। उन्होंने कहा, ‘भारत सिर्फ 70 साल पुरानी पहचान नहीं है, बल्कि 5000 साल पुरानी सभ्यता है। कश्मीर के बिना भारत नहीं है और भारत के बिना कोई भी कश्मीर नहीं है।’