नई दिल्ली। राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। इस दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन के द्वारा संविधान पीठ और जस्टिस यूयू ललित पर सवाल खड़े कर दिए गए। जिसके बाद कोर्ट ने 29 जनवरी तक मामले को टाल दिया है। अब इस मामले की सुनवाई के लिए नई बेंच का गठन किया जाएगा, जिसमें जस्टिस यूयू ललित शामिल नहीं होंगे।
बता दें कि इस मामले से जुड़े 18836 पेज के दस्तावेज हैं, जबकि हाई कोर्ट का फैसला ही 4304 पेज का है। बताया जा रहा है कि जो भी मूल दस्तावेज हैं उनमें अरबी, फारसी, संस्कृत, उर्दू और गुरमुखी में लिखे हैं। वकीलों ने कहा कि ट्रांसलेशन की भी पुष्टि होनी चाहिए।
सुनवाई के दौरान वकील राजीव धवन ने कहा कि बेंच में शामिल जस्टिस यूयू ललित 1994 में कल्याण सिंह की ओर से कोर्ट में पेश हुए थे। हालांकि, इतना कहते ही उन्होंने तुरंत खेद भी जताया। जिस पर चीफ जस्टिस गोगोई ने उन्हें कहा कि वह खेद क्यों जता रहे हैं।