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चित्रकूट जेल एनकाउंटर मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने की मांग

चित्रकूट जिला जेल गैंगवार और एनकाउंटर का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। अदालत से इस मामले की जांच सीबीआई या एनआईए से कराने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट में वकील अनूप प्रकाश अवस्थी ने याचिका दायर कर बताया कि चित्रकूट जिला जेल में जिस तरह पुलिस और बदमाशों के बीच मुठभेड़ हुई है। वह बेहद ही संदिग्ध है। याचिका में शीर्ष अदालत से जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का भी अनुरोध किया है।

By संतोष सिंह 
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नई दिल्ली। चित्रकूट जिला जेल गैंगवार और एनकाउंटर का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। अदालत से इस मामले की जांच सीबीआई या एनआईए से कराने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट में वकील अनूप प्रकाश अवस्थी ने याचिका दायर कर बताया कि चित्रकूट जिला जेल में जिस तरह पुलिस और बदमाशों के बीच मुठभेड़ हुई है। वह बेहद ही संदिग्ध है। याचिका में शीर्ष अदालत से जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का भी अनुरोध किया है।

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कोर्ट में दायर याचिका में योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यभार संभालने के बाद राज्य में 18 मार्च 2017 से अब तक हुई सभी न्यायेत्तर हत्याओं की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) या राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुलेतौर पर एनकाउंटर व गैर न्यायिक हत्याओं का समर्थन कर रहे हैं।

याचिकाकर्ता का कहना है कि मुख्यमंत्री का यह बयान रिकॉर्ड पर है कि यूपी में गोली का जवाब गोली से दिया जाएगा। याचिका में बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या, विकास दुबे एनकाउंटर का हवाला देते हुए कहा गया है कि वर्ष 2017 के बाद सैकड़ों एनकाउंटर के मामले हुए हैं। यह बेहद चिंता की बात है। याचिकाकर्ता का कहना है कि अपराधियों को कानूनी प्रक्रिया के तहत सजा देने की बजाए एनकाउंटर के जरिए जान लेकर सजा दी जा रही है।

सैकड़ों लोगों की हत्याओं की हो न्यायिक जांच

पुलिस के मुताबिक बसपा विधायक मुख्तार अंसारी गिरोह के एक सदस्य समेत तीन विचाराधीन कैदियों की 14 मई को चित्रकूट जिला जेल में गोली मारकर हत्या कर दी गई जिसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने जेल के दो अधिकारियों को निलंबित कर दिया। याचिका में कहा गया है कि सबसे बड़ी चिंता यह है कि अगर ऐसे ही न्यायेत्तर हत्याओं की जांच नहीं की गई, तो राज्य की एजेंसियां कभी भी किसी भी नागरिक की जान ले सकती हैं। इसमें कहा गया है कि यूपी में 2017 के बाद से अब तक सैकड़ों लोगों की हत्याएं होने के साथ ही सैकड़ों मुठभेड़ हुईं जो न केवल चिंताजनक हैं बल्कि परेशान करने वाली बात भी हैं।

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