अयोध्या। उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने शनिवार को अयोध्या मामले में फैसला (Ayodhya Case Verdict) सुनाते हुए कहा कि हिन्दुओं का यह विश्वास की अयोध्या ही भगवान राम (Lord Ram) की जन्मभूमि है। वह ‘वाल्मीकि रामायण’ और ‘स्कंद पुराण’ जैसी पवित्र पुस्तकों से आई है और उन्हें ‘आधारहीन’ नहीं मान सकते।
वाल्मीकि रामायण ईसा से 300 से 200 साल पहले की
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के परिशिष्ट में वाल्मीकि रामायण को भगवान राम के जीवन का सबसे मुख्य और पुराना ग्रंथ कहा गया है। addenda के 40वें बिंदु में लिखा गया है कि वाल्मीकि रामायण भगवान राम के जीवन और उनकी लीलाओं पर सबसे पुराना ग्रंथ है, जिसका रचनाकाल ईसा से 300 से 200 साल पहले का है। इसे महाभारत और श्रीमद्भागवत के भी पहले का माना जाता है। वाल्मीकि रामायण के बालकांड के 18वें अध्याय के 8 से 12 नंबर तक के श्लोक रामजन्म और अयोध्या के बारे में हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इनमें से 10वें श्लोक का उल्लेख किया है।
प्रोद्यमाने जगन्नाथम् सर्वलोकनमस्कृतम्।
कोसल्याजनयद रामं दिव्यलक्षणंसंयुतम्।। (बालकांड, अध्याय 18, श्लोक 10)
अर्थात – जिन परमेश्वर, जगत के स्वामी, जिन्हें सभी पूजते हैं, नमस्कार करते हैं, उन परमात्मा विष्णु को कौसल्या ने राम के रुप में जन्म दिया, जो सभी दिव्य लक्षणों से युक्त थे।
राम जन्म की कथा आठवीं सदी की पुस्तक स्कंद पुराण से आई है
जिरह के दौरान एक गवाह ने यह कहा है कि पांचवां श्लोक ‘राम जन्मभूमि’ शब्द से शुरु होता है, यहां शहर शब्द का अर्थ पूरे शहर से है किसी खास जगह से नहीं है। यही बात 7वें श्लोक और चौथे श्लोक में भी कही गई है, जहां अवधपुरी शब्द आता है। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘यह कहना गलत होगा कि सभी तीन श्लोकों में ‘पुरी’ शब्द का अर्थ जन्मभूमि से है।’
लेकिन, भगवान राम के जन्म से जुड़ी पुस्तकों और पुराणों में उनके जन्मस्थान की बहुत विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है। हर जगह यही कहा गया है कि अयोध्या में महाराज दशरथ के महल में कौशल्या ने राम को जन्म दिया। अदालत ने गवाहों की यह बात भी सुनी कि राम जन्म की कथा स्कंद पुराण से भी आयी है और यह पुस्तक आठवीं सदी की है।