लखनऊ। बेसिक शिक्षा विभाग दागी फर्म पर मेहरबान दिखाई दे रहा है, जिसके कारण जिस फर्म को ‘ब्लैकलिस्ट’ करने की तैयारी थी, उसे टेंडर में शामिल कर लिया गया। मामले का खुलासा हुआ विभाग में हड़कंप मच गया। इसकी जानकारी बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री को हुई तो उनके हस्तक्षेप पर फाइनैंशल बिड रोक दी गई। अब पूरे मामले की जांच करवाई जा रही है। उत्तर प्रदेश के बेसिक स्कूलों में अगले सत्र में बांटी जाने वाली किताबों की छपाई और वितरण के लिए फर्म तय की जानी है।
इसके लिए करीब 300 करोड़ रुपये का बजट है, जिसकी टेक्निकल बिड 20 दिसंबर को खोली गई। इसमें सामने आया कि बुर्दा ड्रक इंडिया फर्म भी शामिल थी, जिसका खुलासा होने पर हड़कंप मच गया। फर्म के खिलाफ किताब वितरण में अनियमितता मिली थी, जिसके बाद 2016-17 में चित्रकूट और इलाहाबाद के डीएम ने कार्रवाई के लिए लिखा था। सूत्रों का कहना है कि, बुर्दा ड्रक ने पिछले वर्ष मार्च में अफगानिस्तान में किताबों की छपाई के लिए आवेदन किया था। इसमें फर्म ने उत्तर प्रदेश में किए गए काम का कंप्लिशन सर्टिफिकेट लगाया था।
जब अफगानिस्तान की सरकार ने उत्तर प्रदेश से इस सर्टिफिकेट के बारे में जानकारी की तो सामने आया कि वह फर्जी है। इस पर अफगानिस्तान ने फर्म को दो साल के लिए ब्लैकलिस्टेड कर दिया। वहीं, फर्म द्वारा किए गए फर्जीवाड़े और उस पर लगे आरोपों को देखते हुए बेसिक शिक्षा निदेशालय ने फर्म को दो वर्ष के लिए ब्लैकलिस्टेड करने के लिए शासन से निर्देश मांगे थे। लेकिन शासन ने इस पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया।निदेशालय की संस्तुति के करीब डेढ़ महीने हो चुके हैं, लेकिन शासन में फाइल धूल फांक रही है।
इधर, दागी फर्म को टेंडर प्रक्रिया में शामिल कर 24 को फाइनैंशल बिड खोलने की भी तैयारी थी। वहीं, दागी फर्म के टेंडर में शामिल होने का मामला सामने आने के बाद बेसिक शिक्षा मंत्री ने अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार को मामले की जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, मंत्री ने उन अधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय करने को कहा है, जिन्होंने कार्रवाई की फाइल दबाए रखी।