लखनऊ: टीबी उन्मूलन के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प को समय से पहले पूरा करने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार पूरी तरह गंभीर है । इस संकल्प को सही मायने में धरातल पर उतारने को लेकर नए कार्यक्रम शुरू करने के साथ ही पहले से चल रहे कार्यक्रमों में और तेजी लायी जा रही है । टीबी उन्मूलन को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों और योजनाओं के बारे में बुधवार को प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने विस्तार से मीडिया को जानकारी दी ।
उन्होंने बताया कि कोविड-19 के दौरान टीबी मरीजों की खोज और पहचान के लिए चलाये जा रहे अभियान पर भी असर पड़ना स्वाभाविक था लेकिन आगामी एक नवम्बर से प्रदेश के 29 जिलों में एक बार फिर सघन टीबी रोगी खोज (एक्टिव केस फाइंडिंग) अभियान शुरू होने जा रहा है।
मुख्यमंत्री एक नवम्बर को लखनऊ से इस अभियान का शुभारम्भ करेंगे । दस दिन तक चलने वाले इस अभियान के दौरान घर-घर जाकर टीम लोगों की स्क्रीनिंग करेगी और जिनमें लक्षण नजर आयेंगे उनके बलगम की जांच करायी जाएगी । उन्होंने टीबी के अलावा दस्तक अभियान और टीकाकरण अभियान के बारे में भी विस्तार से बताया ।
राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत प्रदेश के 29 जनपदों अम्बेडकरनगर, अमेठी, आजमगढ़, बहराइच, बलिया, बलरामपुर, बांदा, बाराबंकी, बरेली, बस्ती, चित्रकूट, अयोध्या, गोंडा, गोरखपुर, हमीरपुर, जालौन, जौनपुर, कुशीनगर, महराजगंज, महोबा, मऊ, पीलीभीत, संत रविदास नगर, शाहजहांपुर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, सोनभद्र, संत कबीर नगर एवं लखनऊ में एक नम्बर से 11 नवम्बर के बीच दस दिवसीय अभियान चलाया जाएगा ।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि लाक़ डाउन के दौरान नेपाल से आये एक रोगी, अन्य राज्यों से उत्तर प्रदेश आये 443 क्षय रोगियों और प्रदेश के 649 उन मरीजों को जो अन्य जिलों में पहुंचे थे, उनको समय से क्षय निरोधी औषधि मुहैया कराई गयी । इस दौरान प्रदेश के क्षय रोगियों से दूरभाष के जरिये संपर्क कर दवा उपलब्ध करायी गयी ।
टीबी मरीजों को इलाज के दौरान पोषण के लिए 500 रूपये प्रतिमाह दिए जाने के लिए अप्रैल 2018 में लायी गयी निक्षय पोषण योजना बड़ी मददगार साबित हुई है । योजना के तहत प्रदेश में अब तक 162 करोड़ रुपये की धनराशि प्रत्यक्ष लाभ हस्तातंरण के माध्यम से क्षय रोगियों को प्रदान की जा चुकी है, इसमें वर्ष 2018 में 66 करोड़ रूपये, वर्ष 2019 में 72 करोड़ रूपये और जनवरी 2020 से अब तक 21 करोड़ रूपये का भुगतान किया गया है । यह भुगतान सीधे बैंक खाते में किया जाता है । जिन क्षय रोगियों का बैंक खाता नहीं है, उनका खाता इन्डियन पोस्टल पेमेंट्स बैंक द्वारा मरीजों के घर जाकर खोला जा रहा है ।
इस मौके पर अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने कहा कि टीबी और कोविड के लक्षण मिलते-जुलते हैं, इसलिए ऐसे में खास सावधानी बरतने की जरूरत है । इस तरह के लक्षण वालों की कोविड की जांच के साथ टीबी की भी जांच करायी जा रही है । इससे बचने के लिए जरूरी प्रोटोकाल जैसे- मास्क पहनना अनिवार्य है, क्योंकि इन दोनों ही बीमारियों में खांसने या छींकने से निकलने वाली बूंदों से संक्रमण का खतरा रहता है । इसलिए अपने साथ दूसरों को सुरक्षित करने के लिए मास्क से मुंह और नाक को ढककर रखें ।