नई दिल्ली। गुजरात हाईकोर्ट ने अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के जर्जर हालत को लेकर तीखी टिप्पड़ी की है। हाईकोर्ट ने कहा है कि अहमदाबाद के सिविल अस्पताल की दशा ‘दयनीय’ है और यह अस्पताल ‘कालकोठरी जैसा है, यहां तक कि उससे भी ज्यादा बदतर’। कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन पर स्थिति का जनहित याचिका के रूप में स्वत: संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति जे बी परदीवाला और न्यायमूर्ति आई जे वोरा की खंडपीठ ने अहमदाबाद के सिविल अस्पताल की दशा पर राज्य सरकार को खूब खरी खोटी सुनाई।
राज्य की स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर को ‘डूबता हुआ टाइटेनिक’ करार देते हुए पीठ ने कहा, ‘जैसा कि हमने पहले कहा है कि सिविल अस्पताल मरीजों के इलाज के लिए है। हालांकि, ऐसा प्रतीत होता है कि आज की तारीख में यह एक कालकोठरी के जितना अच्छा है। ये कालकोठरी से भी बदतर हो सकता है।’
इस अस्पताल में कोविड-19 से शुक्रवार तक 377 मरीजों की जान चली गयी जो इस अविध में सभी अस्पतालों में हुई 638 मौतों में एक बड़ा आंकड़ा है। अदालत ने कहा, ‘यह काफी निराशाजनक और दुखद है कि आज की तारीख में सिविल अस्पताल की दशा दयनीय है। हम यह कहते हुए दुखी हैं कि आज की तारीख में सिविल अस्तपाल अहमदाबाद बहुत ही बदतर स्थिति में है।’
पीठ ने पूछा, ‘क्या राज्य सरकार इस तथ्य से अवगत है कि पर्याप्त संख्या में वेंटिलेटर न होने के कारण सिविल अस्पताल में मरीज मर रहे हैं? वेंटिलेटर्स की इस समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकार क्या तैयारी कर रही है।