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देश तभी बनेगा आत्मनिर्भर जब महिलाएं आएंगी आगे: आलोक रंजन

देश को आत्मनिर्भर बनाने में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है। जब तक महिलाएं आगे नहीं आएंगी देश को आत्मनिर्भर होने में मुश्किलें आएंगी। महिलाओं का योगदान हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। लेकिन, दुर्भाग्य से उनके योगदान को उतना स्थान नहीं मिल पाया जितने की वे हकदार थीं। हालांकि अब समय बदल रहा है और लोगों की सोच भी।

By संतोष सिंह 
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लखनऊ। देश को आत्मनिर्भर बनाने में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है। जब तक महिलाएं आगे नहीं आएंगी देश को आत्मनिर्भर होने में मुश्किलें आएंगी। महिलाओं का योगदान हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। लेकिन, दुर्भाग्य से उनके योगदान को उतना स्थान नहीं मिल पाया जितने की वे हकदार थीं। हालांकि अब समय बदल रहा है और लोगों की सोच भी।

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महिलाएं हर क्षेत्र में परचम फहरा रहीं हैं। अब वे देश को आत्मनिर्भर बनाने में भी सबसे बड़ी भूमिका निभाएंगी। यह बातें रविवार को उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन ने कहीं। वह महिला उद्योगों के सशक्तिकरण के लिए स्मॉल इंडस्ट्री मैन्युफैक्चर एसोसिएशन एंटरप्रेन्यूरियल लेडिज फोरम की ओर से आयोजित ऑनलाइन वेबिनार में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।

इस अवसर पर सीमा के अध्यक्ष शैलेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि किसी भी राष्ट्र के विकास में महिलाओं का योगदान सबसे प्रमुख होता है। इसलिए उद्योगों में महिलाओं को नेतृत्व करना चाहिए। देश में महिला उद्यमियों की कमी है। अगर ऐसा होता है तो देश के विकास को और गति मिलेगी। संस्था की संयुक्त सचिव अंजलि श्रीवास्तव ने बताया कि SELF का गठन महिलाओं को गतिशील कारोबारी माहौल में सुविधा प्रदान करने और इसके ज्ञान केंद्र के माध्यम से सहायता प्रदान करने के लिए किया गया था।

उन्होंने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय मातृ दिवस मनाने के लिए SELF ने एक महीने के कार्यक्रम का आयोजन किया है, जिसका विषय है “मॉम्प्रेन्योर स्टोरीज: बच्चों और व्यापार को एक साथ उठाना”। कार्यक्रम की परिणति ऑनलाइन प्रेरक टॉक शो के माध्यम से हुई, जो रविवार 30.5.21 को आयोजित किया गया था और इसका उद्देश्य महिला उद्यमी की यात्रा का जश्न मनाना और अन्य महिलाओं को देश की जीडीपी निर्माण में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना था। यह उन महिलाओं की सफलता की कहानियों का विवरण देने वाला एक प्रेरणादायक अनुभव था, जिन्होंने मूल्य संवर्धन के लिए सभी बाधाओं के खिलाफ काम किया।

पैनलिस्ट शीबा इकबाल जयराजपुरी, आब-ओ-दाना, सोनल गुप्ता टंडन, मेगा एक्सट्रूज़न, सबिहा शाइक अंसारी, संस्थापक एनजीओ उमंग फाउंडेशन और डॉ पद्मा सिंह, संस्थापक, न्यूट्रीकल्प ने अपने बहुमूल्य अनुभवों से बैठक को सुशोभित किया। बैठक के माध्यम से मॉडरेटर महिमा बाजपेयी, सचिव, समापन टिप्पणी और धन्यवाद ज्ञापन सांगला दीक्षित और अंजलि श्रीवास्तव ने दिया। वेबिनार में 150 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया।

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डॉ सिंधुजा मिश्रा, चेयरपर्सन ने कहा कि वह एक अच्छी तरह से समन्वित टीम में विश्वास करती हैं जो महिलाओं को सशक्त बनाने और व्यावसायिक चुनौतियों पर काबू पाने में अन्य महिलाओं का समर्थन करने के लिए काम करती है। इसलिए टीम अधिक लोगों से जुड़ने और उद्यमिता के आवश्यक क्षेत्र में समर्थन देने पर काम कर रही है।

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