कुदरत कहर या कोरोना का खौफ जो भी हो पर एक हजार वर्ष से गोरखपुर जिले में चली आरही बाले मियां के विवाह के परम्परा पर लगा विराम. 17 मई यानी आज के दिन था सैयद सालार मसूद गाजी रहमतुल्लाह अलैहे उर्फ बाले मियां का विवाह .लेकिन कोरोना के खौफ से लोगों के सुरक्षा के लिए लगाए गए लॉक डाउन ने 1035 से चली रही परम्परा पर विराम लगा दिया .आने वाले अक़ीक़दमंद आज के दिन बाहर से दुवा मांग कर वापस हो रहे हैं.
लॉक डाउन की वजह से दरगाह पर लटक रहा है ताला.और दरगाह के चारो तरफ पसरा सन्नाटा.
गोरखपुर जिले के बहरामपुर में सैयद सालार मसऊद गाजी उर्फ बाले मियां का आज 17 मई रविवार को विवाह था .लेकिन नही हुआ। हर साल हजारों की संख्या में अक़ीक़दमद यहां पर आते हैं लेकिन आज यहां पूरी तरह से सन्नाटा पसरा है। एक समय था जो हर साल लाखों लोगों की भीड़ मेले उमड़ती थी.विभिन्न थाना क्षेत्र के पुलिस और आला अधिकारी भीड़भाड़ को नियंत्रित करने के सुरक्षा में लगे रहते थे.लेकिन आज वही पुलिस प्रशासन जनता को दरगाह में प्रवेश करने से ही रोक रही है .वक्त का तकाजा है कि जहां एक तरफ पुलिस प्रशासन जनता की सुरक्षा के लिए लगी रहती थी तो वहीं आज पुलिस प्रशासन जनता की सुरक्षा के लिए दूरी बनाने का संदेश दे रही है।
कोरोना वायरस का संक्रमण एक दूसरे में ना फैले इसके लिए दरगाह के चारों दरवाजों पर ताला बंद कर दिया गया है ताकि दरगाह के अंदर कोई प्रवेश ना करें। दूरदराज से जो लोग भी दरगाह के पास आते हैं पुलिस के जवान उन्हें दरगाह में प्रवेश करने से मना कर दे रहे हैं .और दूर से ही दुआ करने की अपील कर रहे हैं।
यह मेला पूर्वांचल की धरती गोरखपुर से हिन्दू-मुस्लिम एकता का संदेश पिछले 1035 ईसवी से देता चला आ रहा है। लेकिन कोरोना के कहर ने एक हजार वर्ष परम्परा पर विराम लगा दिया.
आज जो भी अकीदत मंद बाबा के दरगाह पर आ रहे हैं दूर से ही दुआ करके चले जा रहे हैं .