नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच तनाव के हालात गंभीर होते जा रहे हैं । लद्दाख की गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद पूरा देश गुस्से से उबल रहा है । इन सारी खबरों के बीच मीडिया ने उस परिवार को ढूढ निकाला है जिनके परिवार के नाम पर गलवान घाटी का नाम पड़ा, इस घाटी की खोज की थी । चूंकि परिवार ने अंग्रेजों की मदद की थी इइस वजह से इस घाटी का नाम गलवान घाटी रख दिया गया था ।
गलवान अमीन नाम के शख्स ने बताया कि उनके दादा के नाम पर इस घाटी का नाम पड़ा है । गलवान अमीन के मुताबिक दादा गुलाम रसूल गलवान ने गलवान घाटी की खोज की थी । बाद में इस घाटी को उन्हीं के नाम गलवान पर ही रख दिया गया । गुलाम रसूल गलवान के पोते गलवान अमीन ने बताया कि उनके दादा 1878 में लेह में पैदा हुए थे, 12 साल की उम्र में गुलाम रसूल गलवान ने अंग्रेजों के साथ ट्रैकिंग शुरू कर दी ।
गलवान अमीन ने आगे बताया कि एक बार मशहूर ब्रिटिश एक्सप्लोरर सर फ्रांसिस यंगहसबैंड रास्ता भटक गए थे । उस दौरान उनके दादा रसूल गलवान ने अग्रेजों की मदद की थी और उन्हें सही रास्ता दिखाया था । जिससे इससे अंग्रेज काफी खुश हुए थे । इसके बाद ही इस घाटी का नाम गलवान घाटी रख दिया गया ।
गलवान घाटी को लेकर चीन लगातार ये दावा कर रहा है कि ये घाटी उसकी है। लेकिन स्पष्ट है कि गलवान घाटी भारत का ही india china 2 हिस्सा है। गलवान घाटी का नाम जिस शख्स पर पड़ा, उसकी पीढ़ियां आज भी यहीं रहती हैं । अमीन ने भी कहा कि गलवान घाटी का हिस्सा चीन का नहीं है। यह पूरा हिंदुस्तान का हिस्सा है। लेकिन चीन लगातार अंदर घुस रहा है, सेना की पूरी कोशिश है कि वो जल्द से जल्द निकल जाए।