नई दिल्ली: विश्व के हर देश लोगों की अलग-अलग समस्याएं हैं। कहीं काम-धंधे की समस्या है तो कई लोग जीवन जीने के लिए भी जंग लड़ रहे है। ऐसे ही हालात हांगकांग के लोगों के है। बता दें कि यहां गरीब लोग मकानों में नहीं बल्कि लोहे के पिंजरों में रहने को मजबूर हैं। भले ही भारत के लोग हांगकांग को समृद्ध और बेहद खुशहाल मानते हों और वहां नौकरी करने का सपना देखते हों लेकिन हांगकांग के लोग बेहद तंगहाली में जिंदगी जीने को मजबूर हैं।
यहां के लोगों की जिंदगी आसान नहीं है लोग लोहे के पिंजरों में रहते हैं और उसके लिए भी उन्हें कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। उसके एक पिंजरे के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ती है। उसके बाद ये लोग यहां जानवरों की तरह रहते हैं। विदेशी मीडिया के अनुसार, जिन पिंजरों में लोग रहते हैं उसकी कीमत 11 हजार रुपये होती है। यह पिंजरे खंडहर हो चुके मकानों में रखे जाते हैं। उसके बाद शुरु होती हैं जिंदगी की जंग। बता दें कि पिंजरों के अंदर एक-एक अपार्टमेंट में 100-100 लोग रहते हैं।
बता दें कि एक अपार्टमेंट में केवल दो ही टॉयलेट होते हैं, जिसके कारण से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं इन पिंजरों की साइज निर्धारित होती है। इनमें से कोई पिंजरा छोटे केबिन के बराबर होता है, तो कोई पिंजरा ताबूत के आकार का होता है। सोसाइटी फॉर कम्युनिटी आर्गनाइजेशन के मुताबिक, हांगकांग में फिलहाल इस तरह के घरों में लगभग एक लाख लोग रह रहे हैं। दरअसल, पिंजरों में रहने वाले ये लोग बेहद गरीब हैं जो महंगे घरों को खरीदने में असमर्थ हैं। जिसकी वजह से यहां के लोग जानवरों की तरह जिंदगी जाने को मजबूर है।