1. हिन्दी समाचार
  2. उत्तर प्रदेश
  3. कोर्ट का ‘सुप्रीम’ आदेश : राष्ट्रद्रोह कानून पर रोक, नहीं दर्ज होंगे नए मामले, पुराने केस में मिलेगी राहत

कोर्ट का ‘सुप्रीम’ आदेश : राष्ट्रद्रोह कानून पर रोक, नहीं दर्ज होंगे नए मामले, पुराने केस में मिलेगी राहत

सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए देशद्रोह कानून (Sedition Law) की धारा 124 A पर रोक लगा दी है। अब इसके तहत नए केस नहीं दर्ज हो सकेंगे। इसके अलावा पुराने मामलों में भी लोग अदालत में जाकर राहत की अपील कर सकते हैं।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए देशद्रोह कानून (Sedition Law) की धारा 124 A पर रोक लगा दी है। अब इसके तहत नए केस नहीं दर्ज हो सकेंगे। इसके अलावा पुराने मामलों में भी लोग अदालत में जाकर राहत की अपील कर सकते हैं।

पढ़ें :- RBI 2000 रुपये के नोट एक अप्रैल को नहीं करेगा स्वीकार, यह है कारण

सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने दलील दी थी कि इस कानून की समीक्षा होने तक इसके तहत नए केस दर्ज करने पर रोक लगाना ठीक नहीं होगा। उनका कहना था कि संज्ञेय अपराधों में वरिष्ठ अधिकारी की संस्तुति पर ऐसे केस दर्ज किए जा सकते हैं। हालांकि अदालत ने केंद्र सरकार (Central Government)  की दलीलों को ठुकराते हुए कानून पर रोक लगाने का फैसला दिया।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme court)  ने एक तरफ केंद्र सरकार (Central Government) से इस कानून की समीक्षा करने को कहा और इसकी धारा 124 A पर पुनर्विचार करने की सलाह दी। वहीं दूसरी तरफ उसने समीक्षा की प्रक्रिया पूरी होने तक 124 A के तहत नए केसों को दर्ज किए जाने पर रोक भी लगा दी। शीर्ष अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा कि वे अब आईपीसी के सेक्शन 124A के तहत लोगों के खिलाफ केस दर्ज किए जाने पर रोक लगाएं।

इसी सेक्शन को देशद्रोह कानून (Sedition Law)  भी कहा जाता है। ब्रिटिश दौर के इस कानून को हटाए जाने की अकसर मांग उठती रही है, जिसे लेकर पिछले दिनों शीर्ष अदालत में अर्जी भी दी गई थी। इसी पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह फैसला दिया है।

केंद्र की किन दलीलों को कोर्ट ने कर दिया खारिज

पढ़ें :- Election Rate Card : समोसा-चाय से लेकर मटन-चिकन तक, सबका चुनावी रेट कार्ड तय; इतने रुपये खर्च कर सकेंगे प्रत्याशी

केंद्र सरकार (Central Government)  ने अदालत में दलील दी थी कि देशद्रोह कानून (Sedition Law)  पर रोक लगाने का फैसला देना गलत होगा, जिसे संवैधानिक बेंच ने भी बरकरार रखने की बात कही थी। केंद्र सरकार (Central Government) का पक्ष रखते हुए अदालत में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta)  ने कहा कि जहां तक लंबित मामलों की बात है तो उनमें से हर मामले की गंभीरता के बारे में हमें मालूम नहीं है। इनमें से कुछ मामलों में टेरर ऐंगल हो सकता है, जबकि किसी केस में मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) का मामला हो सकता है। लंबित मामलों अदालतों के समक्ष विचाराधीन हैं और हमें उनकी प्रक्रिया पर भरोसा करना चाहिए। लेकिन अदालत ने केंद्र की दलीलों क नाकाफी मानते हुए रोक लगाने का आदेश दिया।

 

Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...