लखनऊ. एक करोड़ लोगों को रोजगार देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज योगी सरकार के महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट ‘गरीब कल्याण रोजगार अभियान’ की शुरूआत करेंगे। प्रधानमंत्री दिल्ली से डिजिटल माध्यम के जरिए जुड़ेंगे। लेकिन इस अभियान के दावे पर विपक्ष के द्वारा सवाल उठने लगे हैं। एक साथ एक करोड़ लोगों को रोजगार कहां और कैसे मिलेगा? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए दैनिक भास्कर ने सरकार में बैठे जिम्मेदार अफसरों से बात की, लेकिन किसी के पास इस बात का कोई सटीक आंकड़ा नहीं मिला कि, रोजगार किस-किस सेक्टर में और कैसे मिलेगा। एक जवाब जरूर मिला कि, इस अभियान में मनरेगा का अहम रोल है। ऐसे में सरकार के दावे की पड़ताल की। एक रिपोर्ट…
तीन तरह के रोजगार अभियान का हिस्सा
मुख्यमंत्री योगी के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने बताया कि देश के सबसे बड़े इस अभियान में तीन प्रकार के रोजगार कार्यक्रम को शामिल किया गया है। पहला भारत सरकार का आत्मनिर्भर भारत रोजगार कार्यक्रम है। इसे केंद्र सरकार ने शुरू किया है। इसमें वे लोग शामिल हैं, जिन लोगों को इस कार्यक्रम के जरिए रोजगार दिया गया है। दूसरा एमएसएमई सेक्टर में जिन लोगों को नौकरी मिली है और सरकार ने जिन औद्योगिक संगठनों के साथ एमओयू किया है, ये लोग भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। तीसरा कार्यक्रम स्वतः रोजगार का है। इसमें वे लोग होंगे, जिसमें उनके उद्यम के लिए बैंकों और सरकारी प्रयासों से कर्ज दिलाकर उनके रोजगार को शुरू करवाया गया है। ऐसे लोग भी इस कार्यक्रम से जुड़ेंगे।
1 करोड़ से ज्यादा लोगों को ऐसे मिला काम
एक करोड़ लोगों को रोजगार कहां मिलेगा? इसका जवाब तलाशने के लिए यूपी के कैबिनेट और औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना से बात हुई। उन्होंने कहा कि, यूपी में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर वापस आए हैं। अप्रैल माह से अब तक 58 लाख लोग मनरेगा में जॉब दिया गया और लॉकडाउन खुलने के बाद खुले इंडस्ट्रीज में जरूरत पड़ने पर 50 लाख से ज्यादा मजदूरों को यूपी में ही रोजगार मिला। वहीं प्रदेश में पूर्वांचल और बुंदेलखंड एक्सप्रेस के कंस्ट्रक्शन में लगे हजारों लोगों को रोजगार दिया गया। ऐसे ही सरकार अन्य सेक्टर में रोजगार देने के लिए काम कर रही हैं।
36 लाख प्रवासी मजदूरों का डेटा बैंक मैपिंग तैयार
जानकारी के मुताबिक, प्रदेश सरकार के पास 36 लाख प्रवासी मजदूरों का पूरा डेटा बैंक मैपिंग के साथ तैयार है। योगी सरकार इन कामगारों को एमएसएमई, हाइवे, यूपीईडा, एक्सप्रेसवे और मनरेगा जैसे तमाम सेक्टर से जोड़ने की योजना बना रही है और जोड़ भी रही है। सरकार का दावा है कि करीब एक करोड़ से ज्यादा मजदूर कामगार अपने घर के आस-पास रोजगार दिया गया है।
6 जिलों के लाभार्थियों से पीएम करेंगे बात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम में छह जिलों के लाभार्थियों से बातचीत करेंगे। पीएम मोदी गोरखपुर,संतकबीरनगर जालौन, मेरठ, बहराइच और वाराणसी के कामगारों से बात करेंगे जिसमें ज्यादातर महिलाएं शामिल होंगी। इसमें अन्य राज्यों से घर लौटे प्रवासी श्रमिक और कामगार के साथ साथ स्थानीय लोग भी शामिल हैं।
इनकी भी सुने सरकार
क्या कहते हैं एक्सपर्ट:
स्माल इंडस्ट्री मैन्युफैक्चर एसोसियेशन के अध्यक्ष शैलेन्द्र श्रीवास्तव कहते हैं कि योगीजी कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देना चाहते हैं। ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार देना चाहते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत को समझना जरूरी है। पालिसी बनाना अलग बात है और पालिसी लागू करना अलग बात। अभी जो माहौल है वह रोजगार के नाम पर तुरंत नए उद्योग लगाने की बात होने लगती है, जबकि जो उद्योग पहले से चल रहे हैं जब तक सरकार उनको मजबूत करने पर ध्यान नहीं देगी तब तक जमीनी स्तर पर कुछ भी होना संभव नहीं है। यूपी में लगभग साढ़े 6 करोड़ छोटे उद्योग हैं। पहले सरकार उन पर ध्यान दे।
क्या कहना है विपक्षी दलों का?
भास्कर से साभार