नई दिल्ली। संविदा कर्मचारियों को ग्रेच्युटी पाने के लिए लगातार पांच साल तक नौकरी की शर्त से जल्द राहत मिल सकती है। दरअसल, सरकार जल्द ही नए नए नियम लाने जा रही है, यह बदलाव सामाजिक सुरक्षा संहिता विधेयक, 2019 का हिस्सा है, जिसे हाल में लोकसभा में पेश किया गया है। हालांकि सामान्य या स्थायी नौकरी पर ग्रेच्युटी के लिए कम से कम पांच साल तक नौकरी करना अनिवार्य बना रहेगा।
बता दें कि विधेयक को संसद के दोनों सदनों और और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह बदलाव लागू हो जाएगा। इस संहिता का अध्याय पांच कहता है, ‘कम से कम पांच साल अवधि पूरी करके नौकरी छोड़ने पर ही कर्मचारी को ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाएगा।’ इससे पहले ऐसी चर्चाएं थीं की सरकार ग्रेच्युटी के लिए पांच साल तक नौकरी करने की शर्त को खत्म कर सकती है।
अब लोकसभा में पेश विधेयक के मुताबिक, पांच साल की सेवा के बाद ग्रेच्युटी पाने के लिए कर्मचारी के लिए तय शर्तों में सेवानिवृत्ति या इस्तीफा, मृत्यु या दुर्घटना या बीमारी के चलते अपंगता, अनुबंध की अवधि खत्म होना या केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के तहत होने वाली घटना शामिल है।
संविदा कर्मचारियों को मिल सकती है बड़ी राहत
सामाजिक सुरक्षा संहिता कहती है कि कुछ कर्मचारी लगातार पांच साल की अवधि पूरी नहीं होने की स्थिति में भी ग्रेच्युटी पाने के पात्र हो जाएंगे। यानी उन्हें नौकरी छोड़ते ही ग्रेच्युटी मिल जाएगी। संहिता के मुताबिक, संविदा कर्मचारियों को पांच साल पूरे करने से पहले ही ग्रेच्युटी दिए जाने का प्रस्ताव किया गया है। ऐसे कर्मचारियों को प्रो-राटा आधार पर भुगतान किया जाएगा, यानी जितनी ग्रेच्युटी बनेगी उसका भुगतान कर दिया जाएगा। संविदा कर्मचारी वे होते हैं, जिन्हें कंपनियां एक निश्चित समय के लिए अनुबंध पर रखती हैं।