बहादुर शाह जफ़र को जिन किताबों में महान सम्राट घोषित किया गया है वह पुस्तकें निजी स्वार्थ को देखते हुए लिखी गयी हैं। आप स्कूलों की किताबों को छोड़ जब बहादुर शाह जफ़र का बाकी इतिहास पर नजर डालेंगे तो आपको मालुम चलेगा कि यह सम्राट को अपनी मौत से इतना डर गया था कि वह अंग्रेजों से जान की भीख मांग रहा था।
नई दिल्ली: बहादुर शाह जफ़र को जिन किताबों में महान सम्राट घोषित किया गया है वह पुस्तकें निजी स्वार्थ को देखते हुए लिखी गयी हैं। आप स्कूलों की किताबों को छोड़ जब बहादुर शाह जफ़र का बाकी इतिहास पर नजर डालेंगे तो आपको मालुम चलेगा कि यह सम्राट को अपनी मौत से इतना डर गया था कि वह अंग्रेजों से जान की भीख मांग रहा था। आप जफ़र का सफरनामा पढ़ें और इसके जीवन के अंतिम अध्याय पर जरा खुद नजर दौडायें। आपको आज पता चलेगा कि जफ़र एक ऐसा मुस्लिम शासक था जो मुस्लिम कहलाने के लायक ही नहीं था।
इस्लाम धर्म कहता है कि शराब शैतान का पानी है और इसको पीना गलत है। यहां तक कि कई जगह तो साफ़ जिक्र है कि शराब मुस्लिम पी ही नहीं सकते हैं। अब आप बहादुर शाह जफ़र का इतिहास पढ़ लीजिये। आपको पता चलेगा कि जफ़र तो पूरा ही दिन शराब में डूबा रहता था। इसकी दिनचर्या की शुरुआत ही शराब से होती थी। इसके अलावा शराब पीने के अलावा भी जफ़र हरम के काम करता था। कुछ धार्मिक लोग इस हिसाब से बताते हैं कि बहादुर शाह मुस्लिम नहीं बोला जा सकता है। अगर ऐसे व्यक्ति को सच्चा मुसलमान बोल जायेगा तो यह एक तरह से इस्लाम का अनादर है।
पुस्तक मुस्लिम शासक और भारतीय जन समाज को जब पढेंगे तो आप जान पाएंगे कि जफर एक कायर और बूढा राजा रहा है। इसने कोई बड़ी लड़ाई भी अपने जीवन में नहीं लड़ी है। बल्कि यह तो अंग्रेजों की भीख पर जी रहा था। बहादुर शाह जफ़र 62 की उम्र में तो राजा बना था और यह अंग्रेजों से 12 लाख रुपया वार्षिक पेंशन लेता था। अब आप ही सोचिये कि एक राजा अंग्रेजों से पेंशन क्यों ले सकता है? क्या इसके पास धन की कमी हो गयी थी? तो सच यह है कि अंग्रेज बहादुर शाह जफ़र को एक तरह से भीख देते थे ताकि राजा शांत रहे और हम देश को लुटने में सफल रहें। इस राजा ने कभी देश से प्यार किया होता तो यह अंग्रेजों के हाथ में इस तरह से देश को नहीं सौंप सकता था।
1857 की क्रान्ति जब देश में हुई तो बहादुर शाह जफ़र ने भी इसी समय में अपनी सत्ता वापिस पाने की कोशिश की थी. लेकिन जब 57 की क्रान्ति रुकी तो अंग्रेज वापस दिल्ली आये और तब बहादुर शाह जफ़र ने लालकिले के गुप्त रास्ते से भागने की कोशिश की थी। किन्तु बहादुर शाह जफ़र पकड़ा गया था और तभी इसके दो पुत्रों को गोली से उड़ा दिया गया था।
बहादुर शाह जफ़र इतना कायर और डरपोक राजा था कि इसने पहले ही अंग्रेजों का विरोध ना करने का मन बना लिया था। इसकी आँखों के सामने ही इसके बेटों को गोली मारी गयी थी। असल में बहादुर शाह के पिता अकबर शाह भी जानते थे कि यह एक कायर इंसान है और इसके अप्राकृतिक सम्बन्ध हैं (इसकी चर्चा अगले लेख में करेंगे)। लेकिन बहादुर शाह की कायरता के चलते ही इसको इसके पिता ने राज सत्ता नहीं दी थी।
अंग्रेजों ने जेल में इस पर कई तरह के अत्याचार किये और पूरे 42 दिन तक मुकद्दमा चलाया था। आपको शायद यह बात कोई नहीं बतायेगा कि जेल में भी बहादुर शाह जफ़र शराब के लिए तड़पता था और घुटनों के बल बैठकर अंग्रेजों से जान की भीख मांगता था। सजा में इसको रंगून की जेल भेज दिया गया था और यहीं पर 1862 में इसकी मृत्यु हो गयी थी।
तो इस तरह से अब आप खुद बहादुर शाह जफ़र का आंकलन कर सकते हैं। क्या आप ऐसे राजा को बहादुर बोल सकते हैं जो दुश्मनों से जान की भीख मांगे? असल में ऐसे राजा का तो नाम ही भारतीय इतिहास में नहीं होना चाहिए। लेकिन यह देश का दुर्भाग्य है कि हमें पढ़ने के लिए इतिहास भी झूठा दिया गया है।