1. हिन्दी समाचार
  2. खेल
  3. Tokyo Olympics 2020 : रजत पदक विजेता रवि कुमार का आर्थिक तंगी से गुजरा है जीवन, इनके पिता ने लिखी है सफलता ​की कहानी

Tokyo Olympics 2020 : रजत पदक विजेता रवि कुमार का आर्थिक तंगी से गुजरा है जीवन, इनके पिता ने लिखी है सफलता ​की कहानी

टोक्यो ओलंपिक 2020 (Tokyo Olympics 2020) में भारतीय पहलवान  रवि कुमार दहिया (Ravi Kumar Dahiya)  ने रजत पदक जीत इतिहास रच दिया है। रवि कुमार दहिया (Ravi Kumar) का जीवन बेहद कठिनाइयों से जीवन गुजारा है। 5 फीट 7 इंच की लंबाई वाले पहलवान रवि कुमार दहिया (wrestler ravi dahiya) अपनी कैटेगरी में सबसे लंबे पहलवानों में से एक हैं।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। टोक्यो ओलंपिक 2020 (Tokyo Olympics 2020) में भारतीय पहलवान  रवि कुमार दहिया (Ravi Kumar Dahiya)  ने रजत पदक जीत इतिहास रच दिया है। रवि कुमार दहिया (Ravi Kumar) का जीवन बेहद कठिनाइयों से जीवन गुजारा है। 5 फीट 7 इंच की लंबाई वाले पहलवान रवि कुमार दहिया (wrestler ravi dahiya) अपनी कैटेगरी में सबसे लंबे पहलवानों में से एक हैं। 1997 में रवि दहिया का जन्म हरियाणा के सोनीपत जिले के नहरी गांव में हुआ था। उनके पिता एक किसान थे, लेकिन उसके पास अपनी जमीन तक नहीं थी। वह किराए की जमीन पर खेती किया करते थे। 10 साल की उम्र से ही रवि ने दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में ट्रेनिंग शुरू कर दी थी।

पढ़ें :- Pakistan: पाक की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए उसका समर्थन करने को तैयार : आईएमएफ

उन्होंने 1982 के एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने वाले सतपाल सिंह (Satpal Singh) से ट्रेनिंग ली है। रवि दहिया को पहलवान बनाने में उनके पिता का बहुत बड़ा हाथ है। आर्थिक तंगी होने के बावजूद उन्होंने अपने बेटे की ट्रेनिंग में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनके पिता राकेश हर रोज अपने गांव से छत्रसाल स्टेडियम (Chhatrasal Stadium) तक की 40 किलोमीटर की दूरी तय कर रवि तक दूध और फल पहुंचाते थे।

हालांकि, जब रवि ने 2019 में वर्ल्ड चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज जीता (Won Bronze in World Championship in 2019) था, तब भी उनके पिता उनके इस मैच को नहीं देख सके थे, क्योंकि वो उस वक्त भी अपना काम कर रहे थे, ताकि रवि को अपने सपने पूरे करने में कोई दिक्कत न हो।चोट के बाद भी नहीं मानी हार2015 जूनियर वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप (2015 Junior World Wrestling Championships) में रवि की प्रतिभा नजर आई। उन्होंने 55 किलो कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता, लेकिन सेमीफाइनल में चोटिल भी हो गए। उसके बाद सीनियर वर्ग में करियर बनाने के दौरान चोट के कारण उन्हें पीछे भी हटना पड़ा।

इसके साथ ही 2017 के सीनियर नेशनल्स में चोट ने उन्हें परेशान किया। इस कारण उन्हें कुछ समय मैट से दूर रहना पड़ा।उन्हें पूरी तरह से ठीक होने में करीब एक साल लगा। हालांकि, चोट के कारण लगे ब्रेक के बाद उन्होंने उसी जगह से वापसी की जहां से छोड़ा था। रवि ने बुखारेस्ट में 2018 वर्ल्ड अंडर 23 रेसलिंग चैम्पियनशिप में 57 किलो कैटेगरी में सिल्वर पर कब्जा जमाया।उन्होंने 2019 के वर्ल्ड चैम्पियनशिप के सिलेक्शन ट्रायल में सीनियर रेसलर उत्कर्ष काले और ओलंपियन संदीप तोमर को हराया। 2020 भी रवि के लिए काफी अच्छा रहा है। कोरोना से पहले मार्च में दिल्ली में हुई एशियन रेसलिंग चैम्पियनशिप में उन्होंने गोल्ड जीता था।

पढ़ें :- Stock Market Crash: ईरान में इजरायली अटैक से सहमा शेयर बाजार, सेंसेक्‍स-निफ्टी धड़ाम
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...