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पुखराज या पुखराज रत्न: जानिए किसे ये पुखराज रत्न पहनना चाहिए और किसे नही

जिस व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति शुभ स्थिति में हो उसके लिए पुखराज या पुखराज रत्न काफी फलदायी साबित हो सकता है। अगर आप भी इस रत्न को धारण करने की सोच रहे हैं तो जानिए यह आपके लिए फायदेमंद है या हानिकारक।

By प्रीति कुमारी 
Updated Date

पीले रंग का रत्न पुखराज रत्न है। यह रत्न बृहस्पति ग्रह का है। ऐसा कहा जाता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति शुभ स्थिति में होता है, उसके लिए पुखराज बहुत फलदायी साबित हो सकता है। ऐसे लोग धन, करियर, शिक्षा के साथ-साथ मान-सम्मान प्राप्त करके दिए गए फलों का आनंद ले सकते हैं। आमतौर पर लोग सोचते हैं कि पुखराज कोई भी पहन सकता है लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। पुखराज पहनने से आपको सुख-समृद्धि मिल सकती है लेकिन साथ ही यह कई लोगों के लिए हानिकारक भी साबित हो सकता है। कई लोगों को धन हानि जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। जानिए राशि के आधार पर किसे धारण करना चाहिए और किसे नहीं करना चाहिए यह रत्न।

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मेष राशि पर मंगल ग्रह का शासन है और मंगल और बृहस्पति के बीच अच्छा संबंध है। इसके अलावा मेष राशि के नवम और बारहवें भाव पर भी बृहस्पति का प्रभाव पड़ता है। इसलिए मेष राशि वालों के लिए पुखराज पहनना अच्छा साबित होगा।

वृष राशि का स्वामी ग्रह शुक्र है और इस ग्रह का बृहस्पति के साथ सामान्य संबंध है। वृष राशि के जातकों की कुंडली में यदि बृहस्पति दूसरे, चौथे, पांचवें, नौवें, दसवें और एकादश भाव में हो तो व्यक्ति को आर्थिक लाभ मिलता है। इसलिए इस राशि के जातक ज्योतिष पूछकर पुखराज धारण कर सकते हैं।

मिथुन राशि का स्वामी बुध है। बृहस्पति और बुध के बीच न तो अच्छा और न ही बुरा संबंध है। यदि जातक की कुंडली में बृहस्पति दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें और आठवें भाव में हो तो पुखराज धारण कर सकता है। लेकिन सप्तमेश और मारकेश होने के कारण पुखराज के प्रयोग से बचना चाहिए।

कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा है। इसका अपने स्वामी के साथ शांत और सौम्य संबंध है। वहीं यदि जातक की कुण्डली में बृहस्पति छठे और नवम भाव में हो तो पुखराज धारण करने से लाभ होता है। व्यक्ति को पेट, हृदय और श्वास संबंधी रोगों में लाभ मिलेगा। लेकिन अगर कुंडली में बृहस्पति छठे यानि अशुभ अवस्था में हो तो इसे कभी भी अकेले न पहनें। बल्कि अगर आप पुखराज पहनना चाहते हैं तो इसे गुरु यंत्र के साथ पहनें। इससे इसके बुरे प्रभाव समाप्त हो जाएंगे।

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सिंह राशि के स्वामी सूर्य हैं। सूर्य और बृहस्पति दोनों एक दूसरे के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखते हैं। बृहस्पति पंचम और अष्टम भाव का स्वामी है। ऐसे में सिंह राशि के लोगों के लिए पुखराज पहनना फायदेमंद रहेगा। आप चाहें तो किसी ज्योतिषी से पूछकर सूर्य रत्न माणिक के साथ पुखराज धारण कर सकते हैं। इससे आपको दोहरा फायदा होगा।

वृश्चिक राशि का स्वामी ग्रह मंगल है। बृहस्पति और मंगल दोनों का मैत्रीपूर्ण संबंध है। इस राशि के लोग लाल मूंगे के साथ पुखराज धारण कर सकते हैं। लेकिन यदि बृहस्पति वृश्चिक राशि में दूसरे भाव में हो तो यह भी एक मजबूत मारकेश होता है। ऐसे में पुखराज पहनना हानिकारक हो सकता है। अगर आप इसे इसी अवस्था में पहनना चाहते हैं तो इसे गुरु यंत्र के साथ पहन सकते हैं।

धनु राशि में बृहस्पति पहले और चौथे भाव का स्वामी है। यह स्थान बहुत ही शुभ होता है। इसलिए धनु राशि के जातकों को पुखराज अवश्य धारण करना चाहिए। इससे आपको शारीरिक और मानसिक लाभ होगा।

मीन राशि में बृहस्पति पहले और दसवें भाव का स्वामी है। ऐसे में यह बहुत ही शुभ फल देता है। इसलिए इस राशि के लोगों को पुखराज जरूर पहनना चाहिए। इससे मन का संबंध शरीर से अच्छा बना रहता है और करियर में लाभ मिलता है।

कन्या राशि का स्वामी ग्रह बुध है। बुध और बृहस्पति के बीच कोई मित्रतापूर्ण संबंध नहीं है। इसके साथ ही इस राशि के चौथे और सातवें भाव का स्वामी बृहस्पति है। चतुर्थ भाव माता, भूमि, भवन, वाहन और सुख से संबंधित है, जबकि सप्तम भाव जीवनसाथी और मारकेश से संबंधित है। इसलिए इस राशि के लोगों को पुखराज बिल्कुल नहीं पहनना चाहिए।

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तुला राशि के तीसरे और छठे भाव का स्वामी बृहस्पति है। जबकि तुला राशि का स्वामी शुक्र है। वहीं दूसरी ओर बृहस्पति और शुक्र के बीच शत्रुता का संबंध है। इसलिए इस राशि के लोगों को पुखराज बिल्कुल नहीं पहनना चाहिए। यदि इस राशि के जातक पुखराज धारण करते हैं तो उन्हें पेट संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

कुंभ राशि का स्वामी शनि ग्रह है। इस राशि में द्वितीय भाव का स्वामी यानि बलशाली मराकेश और एकादश होने के कारण यह अशुभ होता है। इसलिए कुंभ राशि के लोगों को भी पुखराज नहीं पहनना चाहिए।

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