नई दिल्ली। आज मुंबई पुलिस ने टीआरपी को किए जा रहे फर्जीवाड़े का बड़ा खुलासा किया है। इस खुलासे में साफ हो गया है कि देश की जनता और मोटी कमाई के लिए बड़ा रैकेट संचालित किया जा रहा था। इस टीआरपी के खेल में देश की जनता फंसी हुई है। टीवी पर हर दिन खुद को नंबर एक चैनल का दंभ भरने वालों की पोल खुल गई है। मुंबई पुलिस के दावे के मुताबिक, टीआरपी का खेल करके विज्ञापनदाता से मोटी रकम वसूली जाती थी। मुंबई पुलिस के दावों के बाद साफ हो गया है कि टीआरपी में फर्जीवाड़ा करके देश की जनता के साथ बड़ा छल किया जा रहा था।
क्या होता है टीआरपी?
TRP (टारगेट रेटिंग पॉइंट्स / टेलीविज़न रेटिंग पॉइंट्स) का उपयोग यह मापने के लिए किया जाता है कि एक तय समय के अंतराल में कितने दर्शक किसी विशेष टीवी शो को देख रहे हैं। टीआरपी हमें लोगों की पसंद बताता है और यह भी कि किस विशेष चैनल या शो की लोकप्रियता कितनी है। जिस शो और चैनल की TRP ज्यादा होती है विज्ञापनदाता उसी पर पैसा लगाते हैं।
इस तरह मापी जाती है TRP
INTAM और BARC एजेंसियां किसी भी टीवी शो की TRP को मापते हैं। TRP को मापने के लिए कुछ जगहों पर पीपलस मीटर (People’s Meter) लगाये जाते हैं। इसे ऐसे समझ सकते है कि कुछ हजार दर्शकों पर नमूने के रूप में सर्वे किया जाता है और इन्हीं दर्शकों के आधार पर सारे दर्शक मान लिया जाता है जो TV देख रहे होते हैं। अब ये पीपलस मीटर Specific Frequency के द्वारा ये पता लगाता है कि कौन सा प्रोग्राम या चैनल कितनी बार देखा जा रहा है। इस मीटर के द्वारा एक-एक मिनट टीवी की जानकारी को Monitoring Team INTAM यानी Indian television Audience Measurement तक पहुंचा दिया जाता है। ये टीम पीपलस मीटर से मिली जानकारी को विश्लेषण करने के बाद तय करती है कि किस चैनल या प्रोग्राम की TRP कितनी है। इसको calculate करने के लिए एक दर्शक के द्वारा नियमित रूप से देखे जाने वाले प्रोग्राम और समय को लगातार रिकॉर्ड किया जाता है और फिर इस डाटा को 30 से गुना करके प्रोग्राम का एवरेज रिकॉर्ड निकाला जाता है। यह पीपल मीटर किसी भी चैनल और उसके प्रोग्राम के बारे में पूरी जानकारी निकाल लेता है।
टीआरपी के खेल में कैसे करते थे फर्जीवाड़ा
मुंबई पुलिस कमिश्नर का दावा है कि पकड़ा गया गैंग फर्जी TRP का काम करता है। टेलीविजन विज्ञापन इंडस्ट्री करीब 30 से 40 हजार करोड़ रुपये की है। विज्ञापन का दर TRP रेट के आधार पर तय किया जाता है। किस चैनल को किस हिसाब से विज्ञापन मिलेगा यह तय किया जाता है। अगर टीआरपी में बदलाव होता है तो इससे रेवेन्यू पर असर पड़ता है। कुछ लोगों को इससे फायदा होता है और कुछ लोगों को इससे नुकसान होता है।
देशभर में करीब 30 हजार बैरोमीटर लगे हैं
बता दें कि, टीआरपी को मापने के लिए BARC एक संस्था है। यह अलग-अलग शहरों में बैरोमीटर लगाते हैं, देश में करीब 30 हजार बैरोमीटर लगाए गए हैं। मुंबई में करीब 10 हजार बैरोमीटर लगाए गए हैं। बैरोमीटर इंस्टॉल करने का काम मुंबई में हंसा नाम की संस्था को दिया गया था। जांच के दौरान ये बात सामने आई है कि कुछ पुराने वर्कर जो हंसा के साथ काम कर रहे थे टेलीविजन चैनल से डाटा शेयर कर रहे थे। वो लोगों से कहते थे कि आप घर में हैं या नहीं है चैनल ऑन रखिए। इसके लिए पैसे देते थे। कुछ व्यक्ति जो अनपढ़ हैं, उनके घर में अंग्रेजी के चैनल ऑन किया जाता था।