ऋषिकेश. सदियों से करोड़ों लोगों को मुक्ति दिलवाने वाली पवित्र नदी गंगा के धरती पर अवरतित होने का आज दिन है. माना जाता है कि आज ही के दिन गंगा स्वर्ग से धरती पर उतरी थी. कहा जाता है कि राजा भागीरथ ने अपने पुरखों की आत्मा की शांति के लिए ब्रह्मा की तपस्या कर गंगा को धरती पर लाने का वरदान मांगा था. गंगा दशहरे के दिन ही मां गंगा धरती पर आई थीं. तभी से लेकर आज तक गंगा दशहरे को पवित्र त्यौहार मानते हुए गंगा में स्नान किया जाता है और पुण्य प्राप्ति की जाती है. लेकिन लॉकडाउन के चलते ऋषिकेश में गंगा तट आज सूने ही रहे.
स्वर्ग से धरती पर आई मां गंगा आज भी करोड़ों भारतीयों की जीवनदायिनी बनी हुई है लेकिन वक्त रहते अगर जल्द ही इस में गिर रहे प्रदूषित नालों और अवयवों पर रोक नहीं लगी तो गंगा का अस्तित्व सिर्फ प्रतीक में रह जाएगा.
कोरोना संक्रमण काल में लगा लॉकडाउन हमें समझा गया है कि गंगा को निर्मल बनाया जा सकता है, रखा जा सकता है. आज से अनलॉक-1 शुरु हो रहा है. ऐसे में सवाल उठना लाज़मी है कि गंगाजल की जो शुद्धि लॉकडॉउन पीरियड में बनी रही क्या वह आगे भी कायम रहेगी?
8 जून से धार्मिक गतिविधियां भी खुलने जा रही हैं जिसके लंबी बंदी के बाद बाद गंगा घाटों पर फिर लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो जाएगी. 8 जून से धार्मिक गतिविधियां भी खुलने जा रही हैं जिसके लंबी बंदी के बाद बाद गंगा घाटों पर फिर लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो जाएगी.
आज गंगा दशहरा है लेकिन लॉकडाउन के चलते मुख्य घाटों पर किसी को भी जाने की इजाज़त नहीं है. बाहर से हज़ारों-लाखों की संख्या में आने वाले श्रद्धालु ऋषिकेश और हरिद्वार का रूप कर पा रहे हैं और इसलिए गंगा दशहरे में पहली बार आस्था की डुबकी नहीं लग पा रही है. यह स्थिति गंगा की सेहत के लिए तो राहत भरी है लेकिन धर्म और आस्था के लिए चुनौती भी है.
करोड़ों रुपये पानी का तरह बहाने के बाद भी सरकारी योजनाएं गंगाजल को आचमन योग्य नहीं बना पाई थी. लॉकडाउन पीरियड में आबादी का बोझ एकदम कम हो गया आवागमन पर रोक लग गई और तीर्थयात्री अपने घरों में ही रुके रहे जिसके चलते गंगा स्वच्छ निर्मल और पवित्र हो गई और गंगाजल आचमन योग हो गया.