पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 22 फरवरी 2022 को जारी की गई नवीनतम अधिसूचना के पश्चात भी उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा अभी भी मनमाने तरीके से पुरानी सपा शासनकाल काल में जारी की गई अधिसूचना 27 जून 2012 के शासनादेश पर काम चल रहा है, जिससे नवीन व्यापारी पुरानी अधिसूचना के चलते नया उद्योग स्थापित नहीं कर पा रहे हैं।
कानपुर देहात। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 22 फरवरी 2022 को जारी की गई नवीनतम अधिसूचना के पश्चात भी उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा अभी भी मनमाने तरीके से पुरानी सपा शासनकाल काल में जारी की गई अधिसूचना 27 जून 2012 के शासनादेश पर काम चल रहा है, जिससे नवीन व्यापारी पुरानी अधिसूचना के चलते नया उद्योग स्थापित नहीं कर पा रहे हैं।
मामला जनपद कानपुर देहात के व्यवसायी रवि अवस्थी का है, जो कि जनपद में नए ईंट भट्ठे का निर्माण का निर्माण करना चाह रहा हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी नवीनतम शासना देश का पूर्णत्या अनुपालन करने के बावजूद है कि अरोक्त CTE विभाग द्वारा निरस्त कर दिया गया, जिसमें पुराने शासना देश का जिक्र करते हुए कहा गया कि 27 जून 2012 द्वारा प्राप्त शासनादेश का पालन नही करता है जो कि यह कहता है कि स्थापना स्थल आबादी से 1 किमी. की दूरी पर होना चाहिए व भट्ठे से भट्ठे की दूरी का मानक 800 मी. है, जबकि नये शासनादेश में आबादी से दूरी 800 मी. व भट्ठे से भट्ठे की दूरी 1 किमी की है। भट्ठा व्यवसायियों का कहना है कि दूरी के बारे में भी शासनादेश स्पष्ट नहीं है जिसमें विभाग दूरी मापने के लिए मनमाने तरीकों प्रयोग करता है किसी-किसी स्थल के मापदण्ड का तहसील रिपोर्ट के आधार पर दूरी की प्रामाणिकता की जांच की रिपोर्ट के आधार पर दो कही Arial, distance Google Map के आधार पर किया जा रहा हैं।
इस विषय पर जब कानपुर देहात के क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उप्र के आशुतोष पाण्डेय से बात की गई तो उन्होंने बताया कि भले की केंद्र सरकार के तरफ से नवीन शासनादेश जारी किया जा चुका है, लेकिन जब प्रदेश सरकार के तरफ से लागू नहीं किया जाएगा। तब तक हमारे स्तर से उसको संज्ञान में नहीं लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जैसे नया शासना देश लागू हो जाएगा उसका अनुपालन में करने में हमारे स्तर से कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। फिलहाल नवीन शासनादेश कब तक लागू होगा इस बारे में विभाग के उच्च अधिकारियों व सरकार को फैसला करना है। इस विषय पर विभाग के उच्चाधिकारी अजय कुमार शर्मा से उनके मोबाइल नंबर पर संपर्क करने की कोशिश की गई ,लेकिन उन्होंने मीटिंग का बहाना बनाकर फोन काट दिया है। इसके अलावा उन्होंने मैसेज का भी कोई जवाब नहीं दिया।
भट्ठा व्यवसायियों का कहना है कि नई गाइडलाइन सरकार इस पर कब संज्ञान लेगी और विभाग कब नयी गाइडलाइन का अनुपालन होगा यह बता पाना मुश्किल है। पर्यावरण एवं वनमंत्री कब नींद से जागेंगे यह भी बता पाना मुश्किल है। नए भट्ठा व्यवसायी अब सारी उम्मीद मुख्यमंत्री योगी से लगाकर बैठे हुए हैं। अन्यथा न्यायालय के अतिरिक्त नए भट्ठा व्यवसासियों के पास दूसरा कोई रास्ता नहीं नजर आ रहा है।