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यूपी : कोविड रिकवरी रेट 90 फीसदी पार, पीकू वाॅर्ड किया जाए तैयार

यूपी में मंद हो रही कोरोना संक्रमण की तीव्रता के बीच कोरोना संक्रमण की रिकवरी दर अब 90.6 प्रतिशत पहुंच गया है। पिछले 24 घंटों में राज्य में कोरोना संक्रमण के कुल 8,727 मामले आए हैं। यह संख्या 24 अप्रैल को आए 38055 मामलों से लगभग 29 हजार कम है। पिछले 24 घंटों में 21,108 संक्रमित व्यक्ति उपचार के बाद डिस्चार्ज हुए हैं।

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। यूपी में मंद हो रही कोरोना संक्रमण की तीव्रता के बीच कोरोना संक्रमण की रिकवरी दर अब 90.6 प्रतिशत पहुंच गया है। पिछले 24 घंटों में राज्य में कोरोना संक्रमण के कुल 8,727 मामले आए हैं। यह संख्या 24 अप्रैल को आए 38055 मामलों से लगभग 29 हजार कम है। पिछले 24 घंटों में 21,108 संक्रमित व्यक्ति उपचार के बाद डिस्चार्ज हुए हैं। वर्तमान में राज्य में कोरोना संक्रमण के एक्टिव मामलों की संख्या 1,36,342 है, जो 30 अप्रैल की अधिकतम एक्टिव मामलों की संख्या 3,10,783 से 1.74 लाख कम है। इस प्रकार 30 अप्रैल के सापेक्ष वर्तमान में अधिकतम एक्टिव मामलों की संख्या में 56 फीसदी की कमी आई है।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कोरोना प्रबंधन के लिये गठित टीम-9 की बैठक में कहा कि एग्रेसिव टेस्टिंग की नीति यूपी ने शुरुआत से ही अपनाई है। 17 मई को हमने साढ़े चार करोड़ कोविड टेस्ट की सीमा को भी पार कर लिया। यह किसी भी प्रदेश में हुआ सर्वाधिक टेस्ट है। अब तक प्रदेश में 4,52,31,090 टेस्ट हो चुके हैं। सोमवार को कुल 2,79,581 कोविड टेस्ट किये गये। इसमें से 1,14,066 टेस्ट केवल आरटीपीसीआर के माध्यम से हैं।

उन्होने कहा कि ग्रामीण इलाकों में संचालित स्क्रीनिंग के वृहद अभियान में लक्षणयुक्त अथवा संदिग्ध संक्रमित व्यक्तियों को निगरानी समिति द्वारा तत्काल मेडिकल किट उपलब्ध करायी जाये, इसके लिए निगरानी समितियों को पर्याप्त संख्या में मेडिकल किट उपलब्ध करायी जाए। आपदाकाल में कुछ निजी अस्पतालों द्वारा कोविड संक्रमित मरीजों से ओवरचार्जिंग की शिकायत प्राप्त हो रही है। यह व्यवस्था का उल्लंघन तो है ही, मानवता के विरुद्ध भी है। सभी जिलों में ऐसी गतिविधियों पर सतत दृष्टि रखी जाए। शिकायतों का तत्काल संज्ञान लेते हुए इनके विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई की जाए।

श्री योगी ने कहा कि रेमेडेसीवीर सहित किसी भी जीवनरक्षक दवा की कालाबाजारी में संल्पित लोगों के खिलाफ एनएसए जैसे कठोर कानून के अनुसार कार्रवाई की जाए। यदि इन गतिविधियों में किसी मेडिकल या पैरामेडिकल स्टाफ की संलिप्तता हो, तो उनकी प्रोफेशनल डिग्री को निलंबित भी किया जाना चाहिए।
जिलाधिकारी व सीएमओ यह सुनिश्चित करें कि कोविड और नॉन कोविड मरीजों के निधन के उपरांत उनके परिजनों को मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने में कठिनाई न हो। यदि मृत्यु कोविड संक्रमण से हुई है तो मृत्यु प्रमाण पत्र पर स्पष्ट उल्लेख किया जाए। इस संबंध में आवश्यकतानुसार शासनादेश भी जारी कर दिया जाए।

उन्होंने कहा कि हर जिले में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की व्यवस्था को टीम लगाकर चुस्त-दुरुस्त बनाया जाए। इसके अन्तर्गत स्वास्थ्य केन्द्रों पर मेडिकल उपकरणों को कार्यशील स्थिति में रखा जाए तथा साफ-सफाई की व्यवस्था को प्रभावी बनाया जाए। स्वास्थ्य केन्द्रों की पेंटिंग भी करायी जाए।साथ ही, आवश्यक मैनपॉवर, पेयजल, शौचालय, बिजली आदि की व्यवस्था को भी दुरुस्त रखा जाए। यह कार्य आगामी एक सप्ताह में पूर्ण कर लिया जाए।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जिलों में उपलब्ध वेंटिलेटर्स व आक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर क्रियाशील अवस्था में रहने चाहिए। वेंटिलेटर्स के संचालन के लिए एनेस्थेटिक्स व टेक्नीशियन भी उपलब्ध रहने चाहिए। सभी कोविड और नॉन कोविड मरीजों के इलाज के लिये मांग के अनुसार ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जा रही है। बीते 24 घंटे में 935 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का वितरण किया गया। इसमें 560 एमटी केवल रीफिलर के माध्यम से वितरित हुआ। ऑक्सिजन ऑडिट के अच्छे परिणाम मिले हैं, बीते कुछ दिनों में ऑक्सीजन की मांग में 10 से 15 फीसदी की कमी आई है।

अधिकांश मेडिकल कॉलेजों में 2-3 दिवसों का बैकअप हो गया है। कुछ मेडिकल कॉलेजों में खाली सिलिंडर की जरूरत है, इसकी पूर्ति तत्काल कराई जाए। 5,000 सिलिंडर क्रय करने की प्रक्रिया जारी है, इसके अलावा विभिन्न औद्योगिक संगठनों द्वारा सीएसआर के माध्यम से लगभग 3500 सिलिंडर और प्राप्त हो रहे हैं। इनका समुचित वितरण व आवंटन कराया जाए।

उन्होने कहा कि कोविड संक्रमण से मुक्त होकर स्वस्थ हो चुके कुछ लोगों को अभी भी चिकित्सकीय निगरानी की आवश्यकता पड़ रही है। ऐसे में कोविड उपचार के साथ-साथ पोस्ट कोविड मेडिकल समस्याओं के ट्रीटमेंट के लिए व्यवस्था आवश्यक है। सभी डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल में ‘पोस्ट कोविड वार्ड’ तैयार किया जाए। यहां हर बेड पर ऑक्सीजन की व्यवस्था हो। इन मरीजों के चिकित्सकीय उपचार के साथ-साथ भोजन के लिए भी समुचित प्रबन्ध किए जाएं।

श्री योगी ने कहा कि निजी मेडिकल कॉलेजों में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने के संबंध में नीति जारी कर दी गई है। इच्छुक संस्थाओं को सरकार की ओर से सभी जरूरी प्रोत्साहन दिए जाएंगे। पीएम केयर्स, राज्य सरकार तथा सीएसआर के माध्यम से स्थापित हो रहे ऑक्सीजन प्लांट की क्रियाशीलता यथाशीघ्र प्रारम्भ की जाए। मुख्य सचिव स्तर से इसकी दैनिक समीक्षा हो।

उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों के आकलन के दृष्टिगत प्रदेश को सभी तरह की चुनौतियों के लिए तैयार रहना होगा। सभी मेडिकल काॅलेजों में 100 बेड का पीडियाट्रिक आईसीयू (पीकू) वाॅर्ड तैयार किया जाए। महिलाओं और बच्चों की सुविधा के दृष्टिगत लखनऊ के लोकबंधु हॉस्पिटल को मदर एंड चाइल्ड कोविड केयर सेंटर के रूप में तैयार कराया जाए।

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