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योगी सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस नीति’ को क्षेत्रीय कार्यालय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लखनऊ ने बनाया बौना

यूपी की योगी सरकार जीरो टॉलरेंस नीति पर कार्य कर रही है, लेकिन उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की शाखा, क्षेत्रीय कार्यालय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लखनऊ सरकार की नीतियों का मखौल उड़ा रहा है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। यूपी की योगी सरकार जीरो टॉलरेंस नीति पर कार्य कर रही है, लेकिन उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की शाखा, क्षेत्रीय कार्यालय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लखनऊ सरकार की नीतियों का मखौल उड़ा रहा है। अभी हाल ही में आदिशक्ति गायत्री एजुकेशनल संस्था ने क्षेत्रीय कार्यालय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लखनऊ द्वारा जारी किये गये प्रदूषण अनापत्ति प्रमाण पत्र के संदर्भ में 22 उद्योगों की सूची प्रेषित कर सूचना मांगी गई थी, जो कि नीतिविरोध व शासनादेश की अनदेखी कर अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया गया था, लेकिन क्षेत्रीय अधिकारी लखनऊ उमेश चंद्र शुक्ला ने सूचना देने से मना कर दिया। इसके साथ यह कह कर मामले को टाल दिया कि जब सरकार द्वारा सूचना मांगी जाएगी तो दे देंगे।

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आई.जी. आर. एस. पर 17 नवंबर निस्तारण हेतु तारीख दी  थी किंतु अभी नहीं किया गया निस्तारण

इसके बाद संस्था ने जब इसकी शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल आईजी आरएस पर दर्ज कराई गई तो मामले को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लखनऊ को न भेज कर शिकायत को प्रभागीय वन अधिकारी अवध क्षेत्र को भेजकर इस आख्या के साथ निस्तारित कर दिया गया। जबकि संबंधित शिकायत अवध वन क्षेत्र के अंतर्गत नहीं है। आई.जी. आर.एस पर पुनः शिकायत को फीडबैक के माध्यम से शिकायत को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लखनऊ को प्रेषित कर जवाब मांगा जाए। आई.जी. आर. एस. पर 17 नवंबर 2022 की तारीख निस्तारण हेतु दी गयी थी किंतु अभी तक कोई सूचना या निस्तारण नहीं किया गया है।

संलग्नित सभी 21 ईट भट्ठों की सूची

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उक्त शिकायत को केंद्रीय लोक शिकायत व जांच संस्थान में भी की गया था, परंतु अभी तक वहां से भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लखनऊ के क्षेत्रीय अधिकारी उमेश चंद्र शुक्ला के रसूख के आगे विभाग बौना साबित हो रहा है, क्योंकि क्षेत्रीय अधिकारी की पत्नी स्वयं पर्यावरण विभाग के शीर्ष पद पर आसीन हैं ।

उद्योग अविराज ब्रिक फील्ड लखीमपुर खीरी को जारी एनओसी में भू-निर्देशांक का हुआ उल्लंघन

मांगी गयी सूची के क्रम संख्या 1 में उद्योग अविराज ब्रिक फील्ड लखीमपुर खीरी, जो क्षेत्रीय अधिकारी लखनऊ द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी दिया गया है, लेकिन अनापत्ति प्रमाण पत्र में जारी भू-निर्देशांक का जब अवलोकन किया जाएगा, तो यह साफ-साफ दर्शित होगा कि 500 मीटर की दूरी पर सघन वन अभ्यारण व 450 मीटर की दूरी पर सघन घनत्व आबादी स्थित है । जो कि सरकार के तरफ से जारी की गई 27 जून 2012 व केंद्रीय सरकार द्वारा जारी किए गए 22 फरवरी 2022 की गाइडलाइन का पालन नहीं करती है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लखनऊ में अभी भी चल रहा है इंस्पेक्टर राज 

ऐसे ही सूची में संलग्नित सभी 21 ईट भट्ठों के भू-निर्देशांक क्षेत्रीय अधिकारी द्वारा दिया ही नहीं गया है। इससे साबित होता है कि क्षेत्रीय कार्यालय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लखनऊ यूपी की योगी सरकार जीरो टॉलरेंस नीति की धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। सरकार लाख प्रयास कर ले, लेकिन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लखनऊ में इंस्पेक्टर राज अभी भी चल रहा है।

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