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मुलायम सिंह यादव के निधन से माया दुखी, बोलीं-मेरी संवेदनाएं परिवार और शुभचिंतकों के साथ

समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संस्‍थापक और तीन बार यूपी के मुख्‍यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के निधन पर बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP supremo Mayawati) ने गहरा दुख जताया है। मायावती (Mayawati) ने एक ट्वीट करके मुलायम सिंह के परिवार और शुभचिंतकों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्‍यक्‍त कीं है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संस्‍थापक और तीन बार यूपी के मुख्‍यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के निधन पर बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP supremo Mayawati) ने गहरा दुख जताया है। मायावती (Mayawati) ने एक ट्वीट करके मुलायम सिंह के परिवार और शुभचिंतकों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्‍यक्‍त कीं है।  समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party)  के व्योवृद्ध नेता व यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री  मुलायम सिंह यादव  (Mulayam Singh Yadav)  के आज निधन हो जाने की ख़बर अति-दुःखद। उनके परिवार व सभी शुभचिन्तकों के प्रति मेरी गहरी संवेदना। कुदरत उन सबको इस दुःख को सहन करने की शक्ति दे।

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यूपी की सियासत में मुलायम और मायावती को दशकों तक दो ध्रुवों के तौर पर देखा जाता रहा

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यूपी की सियासत में मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) और मायावती (Mayawati) को दशकों तक दो ध्रुवों के तौर पर देखा जाता रहा। 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और बसपा (BSP) का गठबंधन हुआ तो करीब ढाई दशक बाद मुलायम और मायावती (Mayawati) ने एक साथ मंच भी साझा किया था।

कभी एक दूसरे के धुर विरोधी रहे दोनों नेताओं के मंच पर यूं साथ आने से विरोधी हैरान थे। तब मैनपुरी में सपा-बसपा और रालोद (SP-BSP-RLD ) की संयुक्त रैली में मायावती (Mayawati) ने जनता से मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav)  के लिए वोट मांगे थे। मंच से दोनों ने एक-दूसरे की प्रशंसा भी की।

पुरानी कड़वाहट को भूलकर मायावती और मुलायम सिंह (Mulayam Singh )  जिस तरह जनता से मुखातिब हुए वो यूपी की राजनीति के लिए उत्सुकता भरा मौका था। बता दें कि मुलायम और कांशीराम के समय से शुरू हुआ सपा-बसपा (SP-BSP) के साथ का सफर 1995 में लखनऊ के बहुचर्चित गेस्ट हाउस कांड (Lucknow’s Famous Guest House Incident) के बाद दुश्मनी में तब्दील हो गया था। इसके बाद दोनों दलों के रास्ते अलग-अलग हो गए थे और लगातार दोनों के बीच कड़वाहट बढ़ती चली जा रही थी। 2019 लोकसभा चुनाव वो पहला मौका था जब करीब 24 बाद मुलायम और मायावती (Mayawati)  एक मंच पर दिखे थे।

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