भारत की स्वतंत्रता का 75 वर्ष पूरे (India completes 75 years of independence) होने के उपलक्ष्य में पूरे देश में मनाए जा रहे अमृत महोत्सव के तहत अमृत महोत्सव समिति लखनऊ पूरब द्वारा भाग में भी कई कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की गई है। वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई (Veerangana Maharani Laxmibai) के जन्मदिवस 19 नवंबर से विजय दिवस 16 दिसंबर तक इन कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। यह जानकारी भाग कार्यवाह ज्योति प्रकाश ने दी।
लखनऊ। भारत की स्वतंत्रता का 75 वर्ष पूरे (India completes 75 years of independence) होने के उपलक्ष्य में पूरे देश में मनाए जा रहे अमृत महोत्सव के तहत अमृत महोत्सव समिति लखनऊ पूरब द्वारा भाग में भी कई कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की गई है। वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई (Veerangana Maharani Laxmibai) के जन्मदिवस 19 नवंबर से विजय दिवस 16 दिसंबर तक इन कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। यह जानकारी भाग कार्यवाह ज्योति प्रकाश ने दी।
उन्होंने बताया कि इस आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के दौरान देश को स्वतंत्रता दिलाने वाले अनेक वीर सपूतों की याद में जगह जगह रथ यात्रा, तिरंगा यात्रा, संगोष्ठी, नुक्कड़ नाटक, भारत माता पूजन, वन्दे मातरम् गायन आदि के माध्यम से समाज को अनेक बलिदानी वीरों की गाथा की जानकारी देना है और विद्यालयों तथा इंटर व डिग्री कालेजों में प्रतियोगिताओं व विचार गोष्ठियों के आयोजन जैसे अनेक कार्यक्रम करने है। इसके लिए आयोजन समितियां गठित की गई है।
19 नवंबर को सभी नगर स्तर पर उद्घाटन के कार्यक्रम कुल 11 स्थानों पर झांकी, शोभा यात्रा, भारत माता पुजन, वन्दे मातरम् गान व संगोष्ठी के साथ होंगी। सह भाग कार्यवाह पंकज ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता के लिए अनगिनत वीरों ने बलिदान दिया, लेकिन तत्कालीन अंग्रेज़ व मुगल इतिहासकारों ने बहुत सारे मिथक हमारे सामने रखे, जिसके कारण समाज में जो विमर्श बना, वह अत्यंत भ्रामक एवं असत्य है। हमें सही इतिहास समाज के सामने लाना चाहिए । अमृत महोत्सव समिति के संयोजक अभिषेक ने बताया कि 15 अगस्त 1947 को जब हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई तो विश्व की प्राचीनतम सभ्यता नए रूप में हमारे सामने आयी। लेकिन विघटनकारी और सत्ता लोलुप शक्तियों के चलते प्रकृति निर्मित अखंडित भारत भूमि खंडित हो गई । स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने का यह वर्ष हमारे लिए सिंहावलोकन का अवसर है।
ब्रिटिश उपनिवेशवाद का स्वरूप, प्रक्रिया, संरचना कैसी थी, भारतीय समाज ने किस प्रकार इसका उत्तर दिया तथा स्वराज की संकल्पना जिसमें राजनैतिक स्वतंत्रता के साथ साथ स्वधर्म, स्वभाषा, स्वदेशी का भाव कैसा था, इसका स्मरण करने का अवसर है। हज़ारों ऐसे भी अज्ञात, गुमनाम क्रांतिकारी, हुतात्मा जिन्हें इतिहास के पृष्ठों में उचित स्थान नहीं मिला, उन सबको भी स्मरण करने का यह अमृत अवसर है। इस अवसर पर माननीय भाग संघचालक प्रभात अधौलिया, सह जिला कार्यवाह राम लखन, आयोजन समिति के पालक मनोज मिश्रा, अमित व अनिल भी उपस्थित रहे।