आज हमारे बीच बॉलीवुड के मशहूर बॉलीवुड एक्टर विनोद खन्ना ( Vinod Khanna) आज अपना 70वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहें हैं. 6 अक्टूबर 1946 को पेशावर (पाकितान) में हुआ था. विनोद खन्ना (Vinod Khanna) भले आज हमारे बीच नहीं हों लेकिन उन्हें भुला पाना बेहद मुश्किल है.
Vinod Khanna Birthday Special: आज हमारे बीच बॉलीवुड के मशहूर बॉलीवुड एक्टर विनोद खन्ना ( Vinod Khanna) आज अपना 70वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहें हैं. 6 अक्टूबर 1946 को पेशावर (पाकितान) में हुआ था. विनोद खन्ना (Vinod Khanna) भले आज हमारे बीच नहीं हों लेकिन उन्हें भुला पाना बेहद मुश्किल है. विनोद खन्ना (Vinod Khanna) हिंदी फिल्म सिनेमा के बेहद हैंडसम, खुबसूरत और दमदार शख्सियत वाले अभिनेता थे.
दरअसल, आज हम विनोद खन्ना (Vinod Khanna) की जिंदगी की किताब के कुछ अनछुयें पन्नों को आपके सामने खोलने जा रहे है। एक समय ऐसा था जब विनोद खन्ना (Vinod Khanna) हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में टॉप के स्टार हुआ करते थे। उनका करियर अपने शिखर पर था और फिल्म इंडस्ट्री में विनोद खन्ना का डंका बज रहा था.
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दौलत और शोहरत उनके कदम चूम रही थी लेकिन फिर भी ना जाने क्यों विनोद खन्ना (Vinod Khanna) अपने आप को तन्हा और अकेला महसूस करने लगे थे. अपनी इसी आध्यात्मिक शांति के लिए उन्होंने 1982 में ओशो से दीक्षा लेकर सन्यास ले लिया था। उनके इस फैसले से पूरी फिल्म इंडस्ट्री को बड़ा झटका लगा.
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बॉलीवुड अभिनेता विनोद खन्ना (Vinod Khanna) के इस फैसले पर लोगों को पहले तो यकीन नहीं हुआ लेकिन जब उन्होंने फिल्मों के साइनिंग अमाउंट लौटाने लगे तो प्रोड्यूसर के होश उड़ गए.
विनोद खन्ना (Vinod Khanna) को लेकर कई तरह की चर्चाएँ होने लगी, तब उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस करके इस बात का खुलासा किया अब उन्होंने सन्यास ले लिया है.
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यहां से बॉलीवुड अभिनेता विनोद खन्ना (Vinod Khanna) का आध्यात्मिक सफ़र शुरू हुआ. ओशो से वे खासे प्रभावित थे और अपनी अध्यात्मिक प्यास बुझाने के लिए अब वे अमेरिका के ओरेगन रवाना हो चुके थे. ओरेगन में ओशो का एक बड़ा आश्रम है। ओशो के आश्रम में विनोद खन्ना (Vinod Khanna) को बागवानी का काम मिला था.
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वहां रहने वाले सभी लोगों को कोई ना कोई काम करना होता था, विनोद (Vinod Khanna) अपने इस काम का बेहद मस्ती के साथ किया करते थे। सन्यास के दौरान विनोद खन्ना का नाम ‘विनोद भारती’ हुआ करता था.
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लगभग 2-3 सालों तक विनोद खन्ना (Vinod Khanna) ने सार्वजनिक जीवन से दूरी बना ली. फिर 1985 में उन्होंने वापसी की, एक मैगजीन के कवर पेज पर उनकी तस्वीर छपी. इसके बाद से एक बार फिर उनके घर के बाहर डायरेक्टर-प्रोड्यूसरों की लाइन लगने लगी.
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अपने करियर के टॉप पर पहुंचकर विनोद खन्ना (Vinod Khanna) जैसी हिम्मत करना हर किसी के बस की बात नहीं है. अपनी आध्यात्मिक शांति के लिए उन्होंने अपने फ़िल्मी करियर को भी लात मार दी थी.