मशहूर यक्षगान गायक और पटकथा लेखक बलिपा नारायण भागवत ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है। बलिपा नारायण भागवत ने कर्नाटक में अपने आवास पर अंतिम सांस ली। वह 84 वर्ष के थे। गायक अपने पीछे तीन पुत्र माधव, शशिधर और शिवशंकर को छोड़ गए हैं। तीनों ही यक्षगान पार्श्व गायक हैं।
मशहूर यक्षगान गायक और पटकथा लेखक बलिपा नारायण भागवत ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है। बलिपा नारायण भागवत ने कर्नाटक में अपने आवास पर अंतिम सांस ली। वह 84 वर्ष के थे। गायक अपने पीछे तीन पुत्र माधव, शशिधर और शिवशंकर को छोड़ गए हैं। तीनों ही यक्षगान पार्श्व गायक हैं।
उनकी पत्नी जयलक्ष्मी की मृत्यु उनसे पहले हो गई थी। भागवत की काफी तगड़ी फैन फॉलोइंग थी। उन्होंने अपने गायन की शैली में काफी महारत हासिल की थी, जिसकी वजह से प्रशंसकों ने इसे ‘बालिपा शैली’ का नाम दिया था। यह अन्य गायकों की तुलना में काफी अलग थी।
भागवत ने 30 से अधिक यक्षगान ‘प्रसंग’ (लिपियाँ) लिखी हैं। बलिपा नारायण भागवत ने 60 से अधिक वर्षों तक यक्षगान कला की सेवा की। उन्होंने सबसे पहले पद्रे जटादारी मेला की शुरुआत की। वे यक्षगान के 50 से अधिक प्रसंगों को जानते थे, जिनमें से 30 प्रकाशित हो चुके थे। उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।