हाथरस। हाथरस केस को लेकर योगी सरकार के फरमान से पीड़िता के पूरे गांव को किले में तब्दील कर दिया गया है। सरकार के इस फरमान से पूरे गांव के लोगों को कई बड़ी मुसिबतों का सामना करना पड़ रहा है। रोजमर्रा की चीजें भी उन्हें मुहैया नहीं हो पा रही हैं। गंभीर मरीजों को भी अस्पताल की चौखट तक जाने नहीं दिया जा रहा है, जिसके कारण उनकी परेशानियां और बढ़ती जा रहीं हैं। सरकार के इस फरमान से गांव के लोगों की मुश्किलें बढ़ती जा रहीं हैं।
ऐसा तो यूपीए की सरकार में हुए निर्भया कांड में भी नहीं हुआ था कि पीड़िता के परिवार और उसके गांव को सील कर दिया गया था। ऐसे में हाथरस की घटना के बाद योगी सरकार के गांव को सील करने के आदेश पर सवाल खड़ा होने लगे हैं? पहला सवाल तो यही है कि आखिर ऐसा क्या है, जिसे छुपाने की कोशिश की जा रही है। अगर सरकार के दावे में सच्चाई है तो पूरे गांव को क्यों सील करना पड़ा?
वहां के लोगों पर यह कैसा आदेश धोपा गया, जिसके कारण उनका जन जीवन पूरी तरह से प्रभावित हो गया? गौरतलब है कि, हाथरस पीड़िता के पूरे गांव को प्रशासन ने सील कर दिया है। घटना के बाद वहां पर मीडिया की एंट्री भी बंद कर दी गयी है। साथ ही किसी भी विपक्षी दल के नेता को वहां पर नहीं जाने दिया जा रहा है। गुरुवार को राहुल और प्रियंका को वहां पर जाने से रोक दिया था। वहीं, आज टीएमसी के सांसदों को भी पीड़िता के गांव में दाखिल नहीं होने दी।