नई दिल्ली: वॉट्सऐप ने अपनी पॉलिसी में बड़ा बदलाव किया है, वही यदि आप वॉट्सऐप का उपयोग करना जारी रखना चाहते हैं तो आपके लिए इन परिवर्तनों को स्वीकार करना अनिवार्य होगा। वॉट्सऐप प्राइवेसी पॉलिसी एवं टर्म्स में परिवर्तन की सूचना एंड्रॉइड तथा आईओएस उपभोक्ता को एक नोटिफ़िकेशन के माध्यम से दे रहा है।
वही इस नोटिफ़िकेशन में स्पष्ट बताया गया है कि यदि आप नए अपडेट्स को आठ फ़रवरी, 2021 तक स्वीकार नहीं करते हैं तो आपका वॉट्सऐप अकाउंट डिलीट कर दिया जाएगा। मतलब, प्राइवेसी के नए नियमों और नए शर्तों को अनुमति दिए बिना आप 8 फ़रवरी के पश्चात् वॉट्सऐप का उपयोग नहीं कर सकते।
साफ़ है कि वॉट्स आपसे ‘फ़ोर्स्ड कन्सेन्ट’ यानी ‘जबरन सहमति’ ले रहा है क्योंकि यहाँ मंजूरी न देने का ऑप्शन आपके पास है ही नहीं। साइबर क़ानून के जानकारों का मानना है कि अमूमन सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स अथवा ऐप्स इस प्रकार के सख्त क़दम नहीं उठाते हैं।
सामान्य रूप से उपभोक्ता को किसी अपडेट को ‘स्वीकार’ अथवा अस्वीकार करने का ऑप्शन दिया जाता है। ऐसे में वॉट्सऐप के इस ताज़ा नोटिफ़िकेशन ने विशेषज्ञों की दिक्कतें बढ़ा दी हैं साथ ही उनका कहना है कि एक उपयोगकर्ता के रूप में आपको भी इससे चिंतित होना चाहिए।
वही साइबर और टेक्नॉलजी लॉ मामलों की एक्सपर्ट पुनीत भसीन बोलती हैं कि वॉट्सऐप जो कर रहा है, वो कुछ नया नहीं है। उन्होंने कहा, “वॉट्सऐप के नीति अपडेट मंजूरी पर हमारी निगरानी इसलिए जा रही है क्योंकि ये किसी न किसी रूप में हमें अपनी पॉलिसी की जानकारी दे रहा है तथा हमसे मंजूरी माँग रहा है। अन्यथा तकरीबन प्रत्येक ऐप बिना हमारी मंज़ूरी के हमारा निजी डेटा एक्सेस कर लेते हैं।” पुनीत भसीन भी मानती हैं कि भारत में प्राइवेसी से जुड़े क़ानूनों का अभाव है इसलिए वॉट्सऐप के लिए भारत जैसे देशों को टारगेट करना सरल हो जाता है।
जिन देशों में प्राइवेसी और प्राइवेसी से संबंधित कड़े क़ानून मौजूद हैं, वॉट्सऐप को उनका पालन करना ही पड़ता है। यदि आप ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि वॉट्सऐप यूरोपीय क्षेत्र, ब्राज़ील तथा अमेरिका, तीनों के लिए अलग-अलग पॉलिसी अपनाता है। इसकी यूरोपीय संघ (ईयू) तथा यूरोपीय स्थानों के तहत आने वाले देशों के लिए अलग, ब्राज़ील के लिए अलग तथा अमेरिका के उपयोगकर्ता के लिए वहाँ के स्थानीय क़ानूनों के तहत अलग-अलग निजी नीति तथा शर्तें हैं।
वहीं, भारत में यह किसी विशेष क़ानून का पालन करने के लिए बाध्य दिखाई नहीं देता। पुनीत भसीन बोलती हैं कि विकसित देश अपने नागरिकों की प्राइवेसी को लेकर बहुत गंभीर रहते हैं तथा उनके क़ानूनों में दायरे में रहकर काम न करने वाले सर्विस प्रोवाइडर्स अथवा ऐप्स को प्ले स्टोर में ही स्थान नहीं प्राप्त होती है। उन्होंने कहा, “वॉट्सऐप के माध्यम से यदि किसी के प्राइवेट डेटा का गंभीर दुरुपयोग हो जाए तो वो कोर्ट में मुक़दमा अवश्य कर सकता है तथा इस मामले में आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई भी हो सकती है किन्तु वॉट्सऐप को लोगों के सामने डेटा को लेकर अपनी शर्तें रखने से रोके जाने के लिए फ़िलहाल देश में कोई क़ानून नहीं है।”