मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति को रातों रात पलटने में अजित पवार की भूमिका अहम है। बारामती से विधायक अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। चाचा शरद पवार के नक्शेकदम पर चलते हुए अजित पवार ने राजनीति में एंट्री की थी और 1990 से अब तक 7 बार वह बारामती के विधायक निर्वाचित हो चुके हैं। बता दें कि अजित पवार का जन्म 22 जुलाई 1959 को अहमदनगर में उनके दादा के यहां हुआ था।
वह शरद पवार के बड़े भाई अनंतराव पवार के बेटे हैं। अजित पवार ने 1982 में राजनीति में प्रवेश किया था। अजित पवार महाराष्ट्र में 2010 में कांग्रेस—एनसीपी की सरकार में वह पहली बार उप मुख्यमंत्री नियुक्त हुए थे। अपने चाहने वालों और जनता के बीच वह दादा के रूप में लोकप्रिय हैं। सितंबर 2012 में एक घोटाले के चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि एनसीपी ने एक श्वेत पत्र जारी करते हुए अजित पवार को क्लीन चिट दे दी थी और उप मुख्यमंत्री कार्यकाल जारी किया।
अजित पवार का रहा है विवादों से नाता
महाराष्ट्र की राजनीति में उल्टफेर करने वाले अजित पवार का विवाद से पुराना नाता रहा है। सात अप्रैल 2013 को आया अजित पवार का एक बयान बेहद चर्चा में रहा। पुणे के पास इंदापुर में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि अगर बांध में पानी नहीं है तो क्या पेशाब करके भरें? उनके इस बयान को लेकर काफी आलोचना की गई थी। हालांकि उन्होंने बाद में माफी मांगी थी। इसके साथ ही लोकसभा 2014 के चुनाव में मतदाताओं को धमकाने के आरोप भी लगे थे।
इस तरह है अजित पवार का राजनीतिक करियर
अजित पवार 20 साल की उम्र में राजनीति करियर की शुरूआत की थी। राजनीति में पहले कदम के रूप में एक चीनी सहकारी संस्था के लिए चुनाव लड़ा। इसके बाद 1991 में वह पुणे जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष बनते हैं और वह 16 साल तक इस पद पर रहे। अजित 1991 में बारामती निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए, लेकिन उन्होंने अपने चाचा शरद पवार के लिए सीट खाली कर दी, जो उस समय पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार में भारत के रक्षा मंत्री थे।
कृषि और बिजली राज्य मंत्री भी रहे
अजित पवार महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुने गए और नवंबर 1992 से फरवरी 1993 तक कृषि और बिजली राज्य मंत्री रहे। तब तक अजित पवार राजनीति में धीरे-धीरे एक बड़ा नाम बन चुके थे। साल 1995, 1999, 2004, 2009 और 2014 में बारामती निर्वाचन क्षेत्र से वह लगातार जीतते रहे। उनके अब तक के महत्वपूर्ण पदों में कृषि, बागवानी और बिजली राज्य मंत्री, जल संसाधन मंत्री (कृष्णा घाटी और कोकन सिंचाई, तीन बार) और वह 29 सितंबर 2012 से 25 सितंबर 2014 महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री भी रहे।