हाथरस। देश में महिला सुरक्षा को लेकर सड़क से संसद तक हंगामा करने वाले ‘माननीय’ आखिर चुप क्यों हैं? छोटे—छोटे मुद्दों पर सरकार को घुटने पर बैठाने वाले इस केस को लेकर सड़कों पर नहीं दिख रहे हैं। आखिरी ऐसा क्या है जो वे इस केस को लेकर खामोश बैठे हैं? दरअसल, हम बात कर रहे हैं उन नेताओं की जो महिला सुरक्षा को लेकर तमाम दावे करते थे।
कई नेता तो मौजूदा केंद्र की सरकार में मंत्री हैं तो कोई यूपी सरकार में बड़े ओहदे पर बैठा हुआ है। किसी ने भी इस केस को लेकर सड़क पर उतरना मुनासिफ नहीं समझा? केवल विपक्ष में रहते ही उन्हें महिला सुरक्षा की बातें याद आती हैं और वह सड़कों पर उतरकर न्याय मांगते हुए दिखते हैं। सोशल मीडिया पर कई ऐसे वीडियो मौजूद हैं जो निर्भया केस के बाद के हैं।
इस केस को लेकर मौजूदा केंद्र की बीजेपी सरकार में मौजूद लोगों ने जमकर हंगामा किया था। महिला सुरक्षा को लेकर उन्होंने कांग्रेस की केंद्र की सरकार पर कई सवाल खड़े किए थे। लेकिन जब वह सत्ता में हैं तो हाथरस केस को लेकर खामोश हो गए हैं? प्रशासन और पुलिसिया तंत्र की मिलीभगत से हाथरस की बेटी के शव का रात में भी अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। आखिर सरकार को ऐसा क्यों करना पड़ा? जब सरकार इस केस को लेकर तमाम दावे कर रही है तो उसे ऐसा क्यों करना पड़ा?
महिला सांसद हैं खामोश
हाथरस केस को लेकर देश में कई महिला सांसद हैं। केंद्र की सरकार में कई महिला सांसद मंत्री भी हैं। लेकिन इस केस को लेकर कोई भी पीड़ित परिवार के दर्द को बांटने नहीं पहुंचा। पीड़ित परिवार के दर्द को इन्होंने अनुसना कर दिया। हालांकि, महिला सुरक्षा को लेकर यह माननीय बड़े दावे करते हैं।
बेटी के सम्मान में बीजेपी है मैदान में
उत्तर प्रदेश में ‘बेटी के सम्मान में बीजेपी है मैदान में’ नारे की गूंज उठी थी। इसके जरिए महिला सुरक्षा को लेकर मौजूदा सरकार पर जमकर हमले किए गए थे। लेकिन हाथरस केस के बाद यह नारे सिर्फ नारे ही साबित हो रहे हैं। हाथरस केस के बाद इन नारों के जरिए महिला सुरक्षा का दंभ भरने वाले आखिर खामोश क्यो हैं?