सनातन धर्म में विवाहित स्त्री के लिए सोलह श्रृंगार का बड़ा महत्व है, बिछिया पहनने का विशेष महत्व है। बिछिया भारतीय संस्कृति का भी प्रतीक है। बिछिया पैर के अंगूठे के बाद वाली उंगली में पहनी जाती है।
Women Jewelry : सनातन धर्म में विवाहित स्त्री के लिए सोलह श्रृंगार का बड़ा महत्व है, बिछिया पहनने का विशेष महत्व है। बिछिया भारतीय संस्कृति का भी प्रतीक है। बिछिया पैर के अंगूठे के बाद वाली उंगली में पहनी जाती है। यह विवाहित स्त्री के पैरों को आकर्षक बनाती है। महिलाओं के लिए बिछिया पहनना शुभ माना जाता है क्योंकि इसका संबंध देवी मां से हैं। मां दुर्गा भी बिछिया पहनती है।
महिलाओं के बिछिया पहनने का धार्मिक और वैज्ञानिक कारण भी है। कहते हैं कि औरतों के पैर की अंगुली की नसों का संबंध उनके गर्भाशय से होता है। ऐसे में बिछिया पहनने से रक्त का प्रवाह सही तरह से गर्भाशय तक पहुंचता है और उन्हें गर्भधारण करने में परेशानी कम होती है। बिछिया एक एक्यूप्रेशर का काम भी करती है, जिससे महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधि लाभ भी मिलता है।
धार्मिक दृष्टि से पैरों में चांदी की बिछिया ही पहननी चाहिए क्योंकि पैरों में सोना नहीं पहनते। कमर से नीचे सोने के आभूषण पहनना मां लक्ष्मी का अपमान माना जाता है।