नई दिल्ली। नार्वे की नोबेले कमिटी ने शुक्रवार को इस साल के नोबेले शांति पुरस्कार से वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (WFP) को सम्मानित किया। इस संस्था द्वारा भूख की समस्या से निपटने के लिए किए गए उल्लेखनीय प्रयासों के तहत यह सम्मान दिया गया है। महामारी कोविड-19 से जूूूूूझते साल 2020 में WFP ने भूख के कारण मौतों का आंकड़ा बढ़ा देख अपने प्रयासों को तेज कर दिया।
नोबेल समिति ने कहा कि भूख से निपटने और संघर्ष वाले इलाकों में शांति की स्थिति में सुधार की कोशिशों के लिए वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (WFP) को शांति पुरस्कार दिया जा रहा है।
इस बार नोबेल शांति पुरस्कारों की दौड़ में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का नाम सबसे आगे था। इसके अलावा पर्यावरण के मुद्दों पर मुखर कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और प्रेस की आजादी का समर्थन करने वाले समूहों भी दावेदार बताए जा रहे थे। लेकिन आखिरकार वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के सिर पर सहरा बंधा।
इस साल नोबेल शांति पुरस्कार का सम्मान पाने के लिए 300 से भी अधिक व्यक्तियों और संस्थाओं को नामांकित किया गया था। यह चौथी बार है जब इतनी बड़ी संख्या में इस सम्मान के लिए नामांकन हुआ है।
इस बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए कुल 318 नामों की सूची तैयार की गई थी। न तो इनके नामों का खुलासा किया जाता और न ही इन्हें नामित करनेवालों के नाम ही बताए जाते हैं। इस पुरस्कार के लिए कोई भी नामांकन भेज सकता है। नोबेल पुरस्कार समिति इसके लिए कोई औपचारिक सूची भी जारी नहीं करती है। समिति इन नामों पर चर्चा के बाद विजेता का चुनाव करती है।