मथुरा। कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे अब्दुल जब्बार को अपने भतीजे की मौत का दर्द रह-रहकर सता रहा है। उस रात की बातें याद कर वो आज भी सिहर उठते है। बेटा स्ट्रेचर पर तड़प रहा था, उनका पूरा परिवार नयति अस्पताल प्रशासन और डाक्टरों से मिन्नतें करता रहा लेकिन किसी ने एक नहीं सुनी। समय पर उपचार न मिलने से परिवार का जवान बेटा असमय मौत के मुँह में चला गया।
बातचीत में कांग्रेस नेता ने बताया कि उनके भतीजे की तबियत खराब हुई तो वो उसे नयति अस्पताल लेकर भागे। यहां उसके कई टेस्ट किए गये। इस दौरान भतीजा अरबाज स्ट्रेचर पर दर्द से तड़प रहा था। सभी मेडिकल टेस्ट करने के बाद भी डाक्टरों ने उसे भर्ती करने से मना कर दिया। अस्पताल का तर्क था कि पहले कोरोना ‘न’ होने का सर्टिफिकेट लेकर आइए। गमगीन कांग्रेस नेता ने बताया कि उनका परिवार नयति अस्पताल के प्रशासन से मिन्नतें करता रहा। उनके अन्य मित्र नेताओं ने भी गुजारिश की, अस्पताल के अधिकारियों ने फोन तक नहीं उठाए और हमने अपना बेटा खो दिया।
सवाल ये उठता है कि जब अस्पताल मल्टी स्पेशिलिटी सुविधाओं का दावा करता है तो आधी रात को कोरोना का बहाना लेकर गंभीर बीमार को इस तरह से बाहर कर देना कहां तक सही है ? सभी जांचें अस्पताल में हुई जिसमें निष्कर्ष निकला कि मरीज के दिमाग में बुखार है, ऐसे में कोरोना होने के संदेह की क्या वजह थी ? नियम तो कोरोना लक्षण होने पर कोरोना टेस्ट की अनिवार्यता का है। बहरहाल, अस्पताल की हठधर्मिता ने अरबाज की जिंदगी छीन ली।
कांग्रेस नेता अब्दुल जब्बार ने नयति अस्पताल का लाइसेंस तत्काल निरस्त करने की मांग सरकार से की है। इस मामले में उन्होंने मथुरा के लोगों से एकजुट होकर इस अस्पताल के खिलाफ आंदोलन शुरू करने का आह्वान किया है।
भाजपा के जिलाध्यक्ष विनोद अग्रवाल के साथ हॉस्पिटल के स्टाफ द्वारा बदतमीजी की गई थी, सूत्रों ने बताया कि भाजपा मथुरा के ‘पितामह’ कहे जाने वाले श्री बांके बिहारी माहेश्वरी के सुपुत्र स्वर्गीय श्री रवि माहेश्वरी की मृत्यु भी नयति हॉस्पिटल की मनी माइंड सोच का ही परिणाम थी।