लखनऊ : यूपी की राज्यपाल व कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में सोमवार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर का 42वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ। राज्यपाल ने सरस्वती मां की प्रतिभा के समक्ष कलश में जलधारा अर्पण करके जल संरक्षण के संदेश के साथ दीक्षांत समारोह का शुभारम्भ किया।
पढ़ें :- Strange case: कौशांबी में अजब गजब मामला, मुर्गे की हत्या का मुकदमा दर्ज कराने थाने पहुंचा युवक
इस अवसर पर अपने सम्बोधन में राज्यपाल ने सभी उपाधि प्राप्त कर्ताओं, स्वर्ण पदक तथा शोध उपाधि पाये विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देकर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए सभी को दीक्षांत समारोह की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह परम्परा के स्मरण और प्रगति के विवरण के साथ भावी योजनाओं का संकल्प होता है, जिसके माध्यम से विद्यार्थी अपनी सांस्कृतिक विरासत और देश व समाज में अपनी भूमिका से परिचित होते हैं। इस संस्थान ने नैक मूल्यांकन में 3.78 सीजीपीए के साथ उच्चतम ग्रेड ‘ए प्लस प्लस‘ प्राप्त करके प्रदेश का नाम रोशन किया है। इस सफलता के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति सहित सभी शिक्षकों, छात्रों को हार्दिक बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि इस मूल्यांकन से विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक विशेष पहचान बनी है। उन्होंने कहा कि इस ग्रेड के मिलने के बाद हमें रूकना नहीं है बल्कि प्रतिवर्ष होने वाली एनआईआरएफ तथा क्यूएस रैकिंग में भी उच्च स्थान रखने का प्रयास करना है। उन्होंने सम्बोधन में विश्वस्तरीय रैंकिंग के लिए अपेक्षित सुधारों की भी चर्चा की।
राज्यपाल ने सबसे ज्यादा स्वर्ण पदक लड़कियों द्वारा प्राप्त किए जाने पर छात्राओं का उत्साहवर्द्धन करते हुए नारी सशक्तिकरण की सार्थकता पर चर्चा की। विश्वविद्यालय के पुरातन छात्रों का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि इसरो द्वारा प्रक्षेपित सूर्ययान आदित्य एल-1 के निर्माण में इस संस्थान के पूर्व छात्र दुर्गेश त्रिपाठी का भी प्रमुख योगदान है। यह इस संस्थान के लिए गौरव की बात है। राज्यपाल जी ने ‘मेरा माटी मेरा देश‘ अभियान के तहत देश भर में निकाली जा रही अमृत कलश यात्राओं की चर्चा करते हुए कहा कि छात्रों में अपने संस्कार, संस्कृति और देश प्रेम से जुड़े रहना आवश्यक है क्योकि यह हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
समारोह में राज्यपाल ने भारत की अध्यक्षता में सम्पन्न जी-20 सम्मेलन कि विशेष चर्चा करते हुए कहा कि इसमें दुनिया ने भारत की बदलती तस्वीर देखी, विश्व का भारत के प्रति नजरिया बदला है। उन्होंने निर्धन, शिल्पकारों को प्रशिक्षण व वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए शुरू कि गई प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना की चर्चा की और कहा कि विश्वविद्यालय भी अपने छात्रों के माध्यम से इस योजना तथा आयुष्मान भव के कार्यक्रमों के प्रचार प्रसार में योगदान दें।
राज्यपाल ने दीक्षांत के सभी विद्यार्थियों को संस्थान से प्राप्त सूचना व ज्ञान का प्रयोग देश हित में करने के लिए प्रेरित किया और कहा कि अपने सांस्कृतिक मूल्यों का आदर करें और चरित्र निर्माण पर हमेशा ध्यान दें। उन्होंने विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप कोर्स एवं प्रोग्राम का संचालन पर प्रसन्नता व्यक्त की और दीक्षांत समारोह में बेसिक शिक्षा के बच्चों को तथा विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गांवों की आंगनवाड़ियों के बुलाकर सम्मानित करने के कार्य की सराहना की। उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा के स्कूलों के विधार्थियों का पदक विजेताओं से संवाद करायें ताकि इनका मनोबल शिक्षा के लिए बढ़े।
पढ़ें :- माधव राव सिंधिया की प्रतिमा से अपमान पर कांग्रेस, बोली- ज्योतिरादित्य जी उम्मीद है आपको याद होगा कि जो जिंदा हो तो जिंदा नजर आना जरूरी है...
समारोह में संबोधित करते हुए राज्य उच्च शिक्षा मंत्री रजनी तिवारी ने विद्यार्थियों से कहा कि शिक्षको ने आपको जिस विषय में निपुण किया है उसको अपने समाज व राष्ट्र के विकास में लगाए एवं यह वचन लें, कि वे सभी राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का हर्षोल्लास के साथ निर्वहन करेंगे। जीवन में अपना एक विजन, एक लक्ष्य बनाएं और नकारात्मक विचारों को कोई भी स्थान न दे। अपनी योग्यता दूसरो की योग्यता से न आंके बल्कि आप में जो विशेषता है, उसको लेकर अपने जीवन में आगे बढ़े।
दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने विश्वविद्यालय परिसर स्थित कुलाधिपति वाटिका में वृक्षारोपण किया तथा विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। उन्होंने विश्वविद्यालय में अत्याधुनिक फिटनेस सेंटर का लोकार्पण तथा विश्वविद्यालय का न्यूज लेटर व वनस्पति विज्ञान तथा रसायन विज्ञान पर आधारित दो पुस्तकों का विमोचन मंच से किया। उनके द्वारा बेसिक शिक्षा के कुछ छात्रों व आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को भी पुरस्कृत किया गया। राज्यपाल जी ने विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह कार्यक्रम में स्नातक के 11 मेधावियों को 32 स्वर्ण पदक और 25 शोध छात्रों को अपने हाथों से उपाधि प्रदान की।
इस अवसर पर कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने राज्यपाल को विश्वविद्यालय की तरफ से आगमन पर धन्यवाद दिया और स्मृति चिन्ह भेंट किया। संबोधन में छात्रों को भी बधाई देकर उनका उत्साहवर्धन किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षक गण, छात्र एवं छात्राएं एवं अन्य प्रशासनिक अधिकारीगण उपस्थित रहे।