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45 th GST Council की बैठक आज, जीएसटी के दायरे में आया पेट्रोल डीजल तो 25 रुपये तक घट सकते हैं दाम

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) की अध्यक्षता में शुक्रवार को जीएसटी काउंसिल (GST Council )  की 45वीं बैठक 17 सितंबर को लखनऊ में होने जा रही है। इस बैठक में चार दर्जन से अधिक वस्तुओं पर टैक्स दर की समीक्षा हो सकती है। इसमें कोविड-19 (COVID-19) से संबंधित 11 दवाओं पर टैक्स छूट को 31 दिसंबर, 2021 तक बढ़ाने का फैसला लिया जा सकता है।

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बता दें कि इस बैठक में पेट्रोल और डीजल, प्राकृतिक गैस और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (विमान ईंधन) को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार हो सकता है। बैठक में राज्यों के राजस्व नुकसान पर मुआवजे पर भी चर्चा हो सकती है। सूत्रों ने बताया कि इस बैठक में जीएसटी परिषद से जुड़ी सभी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कॉमन इलेक्ट्रॉनिक पोर्टल भी लॉन्च हो सकता है।

इसके साथ ही परिषद जोमैटो और स्विगी जैसे ऑनलाइन फूड डिलीवरी एप को रेस्टोरेंट मानते हुए उनके डिलीवरी पर 5 फीसदी जीएसटी लगाने के प्रस्ताव पर विचार कर सकती है। वित्त मंत्रालय ने ट्वीट कर बताया कि सुबह 11 बजे से होने वाली बैठक में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों एवं केंद्र सरकार व राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी शामिल होंगे।

GST  के दायरे में आ सकते हैं पेट्रोल-डीजल

एक या एक से अधिक पेट्रोलियम पदार्थों- पेट्रोल, डीजल, प्राकृतिक गैस और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (विमान ईंधन) को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है। केरल हाईकोर्ट की ओर से पेट्रोल व डीजल को जीएसटी (GST) के दायरे में लाए जाने के निर्देश के बाद जीएसटी काउंसिल के समक्ष यह मामला 17 सितंबर को लाया जाएगा। जीएसटी काउंसिल (GST Council )  ने अभी तक उस तारीख की घोषणा नहीं की है। जब से पेट्रोलियम पदार्थों पर जीएसटी लागू होगा। नाम न लेने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि राजस्व को देखते हुए जीएसएटी काउंसिल (GST Council )  के उच्च अधिकारी पेट्रोलियम पदार्थों पर एक समान जीएसटी लगाने को तैयार नहीं हैं।

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बता दें कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में पेट्रोलियम पदार्थों से राज्य व केंद्र सरकार को 5.55 लाख करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था। इसमें पेट्रोल व डीजल से ही सबसे ज्यादा राजस्व सरकारों को मिला। एक समान जीएसटी (GST)  से पेट्रोल व डीजल के दामों में भारी कमी आएगी। पेट्रोल पर केंद्र सरकार 32 फीसदी तो राज्य सरकार 23.07 फीसदी टैक्स ले रही है। वहीं डीजल पर केंद्र 35 तो राज्य सरकारें 14 फीसदी से ज्यादा का टैक्स वसूल कर रही हैं।

कोरोना उपचार से जुड़ी दवाइयों पर भी मिल सकती है राहत

इतना ही नहीं, बैठक में कोरोना उपचार से जुड़े उपकरणों व दवाइयों पर भी टैक्स से रियायत भी दी जा सकती है। इससे जीएसटी परिषद की 44वीं बैठक 12 जून को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई थी। इसमें 30 सितंबर 2021 तक कोरोना वायरस में काम आने वाले उपकरणों और दवाओं पर जीएसटी की दरें घटाई गई थीं। तब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman)  की अध्यक्षता में हुई बैठक में टीके पर पांच फीसदी की कर दर को कायम रखने पर सहमति बनी थी।

एम्बुलेंस पर जीएसटी की दर को 28 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी किया गया था। टेम्परेचर चेकिंग इक्विपमेंट्स के लिए जीएसटी की दर पांच फीसदी की गई। दवाओं की बात करें, तो Anti-coagulants like Heparin और रेमडेसिविर की दर 12 फीसदी से पांच फीसदी हो गई है। इतना ही नहीं, 44वीं बैठक में ब्लैक फंगस के इलाज में काम आने वाली Amphotericin B दवा पर जीएसटी की दर शून्य की गई थी। Tocilizumab पर भी सरकार ने कर की दर शून्य की थी। जबकि पहले इन पर पांच फीसदी टैक्स लगता था।

लॉन्च हो सकता है कॉमन इलेक्ट्रॉनिक पोर्टल 

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लखनऊ में होने वाली अगली बैठक में जीएसटी से जुड़ी सभी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कॉमन इलेक्ट्रॉनिक पोर्टल लॉन्च हो सकता है। इसके बाद GST पंजीकरण, कर भुगतान, रिटर्न भरने, गणना और आईजीएसटी( IGST)  सेटलमेंट का काम एक ही पोर्टल के जरिये किया जा सकेगा। इसके अलावा मौजूदा GST ग्राहकों को आधार सत्यापन की सुविधा भी दी जा सकती है।

राज्यों के राजस्व नुकसान पर मुआवजे पर हो सकती है चर्चा 

इस बैठक में राज्यों के राजस्व नुकसान पर मुआवजे पर भी चर्चा हो सकती है। बता दें कि  सरकार का माल एवं सेवा (GST) संग्रह अगस्त 2021 में 1,12,020 करोड़ रुपये रहा है। वित्त मंत्रालय ने बताया कि अगस्त में 1,12,020 करोड़ रुपये के कुल जीएसटी संग्रह में सकल जीएसटी संग्रह में केंद्रीय जीएसटी (CGST) की हिस्सेदारी 20,522 करोड़ रुपये रही, राज्य जीएसटी (SGST ) की हिस्सेदारी 26,605 करोड़ रुपये रही, एकीकृत जीएसटी (IGST ) की हिस्सेदारी 56,247 करोड़ रुपये और सेस (Cess) की हिस्सेदारी 8,646 करोड़ रुपये रही।

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