लखनऊ। विश्व हिंदू परिषद 57वां स्थापना दिवस (57th Foundation Day of Vishwa Hindu Parishad) मना रही है। परिषद की ओर से पूरे देश में जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इस बार देश के सभी जिला,प्रखंड से लेकर बस्तियां स्तर पर स्थापना दिवस मनाने की तैयारी की गई है। विहिप (VHP) के लखनऊ पूरब के कार्यकर्ताओं ने स्थापना दिवस का कार्यक्रम धूमधाम से मनाया।
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गोमती नगर स्थित एसकेडी एकेडमी के सभागार में विश्व हिंदू परिषद (Vishwa Hindu Parishad)के स्थापना दिवस का कार्यक्रम विहिप के लखनऊ पूरब के कार्यकर्ताओं ने आयोजित किया। विहिप एवं बजरंग दल के जिला, प्रखंड ,खंड एवं बस्तियों से सैकड़ों कार्यकर्ता जोश खरोश के साथ कार्यक्रम में शामिल हुए।कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान श्री राम, श्री कृष्ण एवं भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित किया गया। कार्यक्रम का संचालन अलोपी शंकर मौर्य,अध्यक्षता पूर्व डीजीपी, न्यायधीश ,रेरा भानु प्रताप सिंह ने किया। मुख्य रूप से मुख्य वक्ता विहिप के प्रांत संगठन मंत्री श्री राजेश रहे। मुख्य अतिथि के रूप में स्वामी चैतन्य महाराज ने अपने आशीर्वचनों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।
विहिप के अवध प्रांत संगठन मंत्री राजेश ने बताया कि जन्माष्टमी के दिन ही 1964 में मुंबई स्थित चिन्मय मिशन के संस्थापक चिन्मयानंद महाराज के संदीपनी साधनालय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के द्वितीय सरसंघचालक माधव राव सदाशिव राव गोलवलकर उर्फ श्रीगुरुजी की प्रेरणा व संघ के वरिष्ठ प्रचारक जो बाद में परिषद के प्रथम महामंत्री शिवराम शंकर आप्टे के कुशल संयोजन से इसकी स्थापना हुई थी। स्थापना के मौके पर अकाली दल के मास्टर तारासिंह, राष्ट्रसंत तूकड़ो महाराज, जैन संत सुशील मुनि, कन्हैैयालाल माणिकाल मुंशी, गीताप्रेस के संस्थापक हनुमान दास पोद्दार जैसे देश के अनेक संत उपस्थित थे। उसके बाद से अब तक विहिप हिंदू जीवन मूल्यों, परंपराओं व मानबिंदुओं की रक्षा, संवर्द्धन प्रचार तथा विश्व के कल्याणार्थ कार्य कर रही है। हिंदुओं को जागरूक करने का काम लगातार जारी है। इसके लिए समय-समय पर समाज के सहयोग से आंदोलन भी चलाए जाते हैं। 57 वर्षों में विश्व हिंदू परिषद श्रीराम जन्मभूमि निधि समर्पण अभियान के माध्यम से देश के 5.25 लाख गांवों तक पहुंचने का काम किया है।
सात अक्टूबर 1984 को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का संतों ने लिया था संकल्प
सात अक्टूबर,1984 अयोध्या में सरयू नदीं के तट पर रामभक्तों ने महंत अवैद्यनाथ, रामचंद्र दास, नृत्यगोपाल दास व अशोक सिंघल आदि प्रमुख लोगों की उपस्थिति में संकल्प लिया कि जहां राम का जन्म हुआ है। वहां भव्य मंदिर बनाएंगे। उसके बाद सबसे बड़ा अहिंसक जनआंदोलन प्रारंभ किया गया। श्री राम जन्मभूमि आंदोलन के अंतर्गत देश के साढ़े तीन लाख गांवों में श्रीरामशिला पूजन हुआ। 9 नवंबर 1989 को कामेश्वर चौपाल के हाथों राम मंदिर का शिलान्यास हुआ। अंतत: पांच अगस्त, 2020 को भव्य मंदिर का भूमिपूजन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों किया गया।
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आज हम सभी भव्य मंदिर बनते हुए देख रहे हैं।अपने स्थापना काल से ही विहिप मतांतरण के खिलाफ लोगों को जागरूक कर रही है। जो लोग मतांतरित हो चुके हैं। उनकी वापसी के लिए भी प्रयासरत है। एक लाख से अधिक एकल विद्यालय के माध्यम से भी विहिप ग्रामीण इलाकों में बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रही है। इसके साथ ही मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। विहिप ने दलित समाज के लोगों को पूजारी का प्रशिक्षण दिलाकर मंदिरों में रखवाने का काम किया है।
आज तेजी से अस्पृश्यता उन्मूलन के लिए काम किया जा रहा है। समाज को तोड़ऩे वाली शक्तियों के प्रति लोगों को जागरूक करने का काम जारी है। अगले दो वर्षों में पूरे देश में पहुंचने की योजना है। इस अवसर पर विहिप के विभाग मंत्री विजय प्रकाश शुक्ला संगठन मंत्री लव कुश प्रचार प्रमुख नृपेंद्र विक्रम सिंह वरिष्ठ पत्रकार जिला मंत्री धर्मेंद्र सिंह गौर कार्याध्यक्ष वीरेंद्र प्रताप सह मंत्री दिग्विजय नाथ तिवारी व अन्य प्रमुख लोग मौजूद रहे