नई दिल्ली: महाकाव्य महाभारत के बारे में तो सबने सुना होगा लेकिन महाभारत की कुछ ऐसे रहस्य भी हैं जिसे शायद ही आप जानतें होंगे दरअसल आज हम आपको एक ऐसा ही किस्सा सुनाने वाले हैं जिसके बारे में जान आपके होश उड़ जाएंगे। आज हम आपको भीलपुत्र एकलव्य के वध के बारे में बताने जा रहें हैं। गुरू द्रोणाचार्य की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर धनुष विद्या की शिक्षा ली। जब द्रोणाचार्य को इस बात का पता चला तो उन्होंने गुरु दक्षिणा में एकलव्य के दाहिने हाथ का अंगूठा ही मांग लिया ताकि वो कभी अपनी चार उंगलियों से धनुष न चला सके। अर्जुन को महाभारत की कहानी का सबसे बड़ा नायक कहा गया।
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इतना ही नहीं अर्जुन को सबसे बेहतरीन और अचूक धनुरधारी की उपाधि भी दी गई। लेकिन सबसे बड़े धनुरधारी अर्जुन के तीर भी एकलव्य के तीर के आगे अपना निशाना चूक जाते थे।एकलव्य को रास्ते से हटाना किसी के लिए भी आसान काम नहीं था। एकलव्य तीर न चला सके इसके लिए द्रोणाचार्य ने उसका अंगूठा ही मांग लिया और खुद भगवान श्रीकृष्ण ने छल का सहारा लेकर एकलव्य का वध किया। लेकिन यहां सवाल है कि आखिर श्रीकृष्ण किससे इतना अधिक प्रेम करते थे कि उसकी राह को आसान बनाने के लिए भगवान होते हुए भी खुद इतने बड़े छल का सहारा लेकर एकलव्य का वध किया।
श्रीकृष्ण को था अर्जुन से प्रेम
जब महाभारत युद्ध समाप्त हुआ तब सभी पांडव अपनी-अपनी वीरता का बखान करने लगे। तब यही वो मौका था, जब श्रीकृष्ण ने अर्जुन से अपने प्रेम की बात को कबूल करते हुए कहा था कि उन्होंने छल से एकलव्य का वध किया था। इतना ही नहीं महाभारत की लड़ाई में श्रीकृष्ण अर्जुन के सारथी भी बने थे।
श्रीकृष्ण ने अपने छल की बात को स्वीकर करते हुए अर्जुन से कहा कि ‘’तुम्हारे मोह में मैंने क्या-क्या नहीं किया। तुम संसार में सर्वश्रेष्ठ धनुरधारी के रुप में जाने जाओ इसके लिए मैंने द्रोणाचार्य का वध करवाया और न चाहते हुए भी भील पुत्र एकलव्य को वीरगित दी ताकि तुम्हारे रास्ते में कोई बाधा न आए।’
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निषाद वंश का राजा बनने के बाद एकलव्य ने जरासंध की सेना की तरफ से मथुरा पर आक्रमण किया। इस आक्रमण के दौरान एकलव्य ने यादव सेना का लगभग सफाया कर दिया था।यादव वंश में हाहाकर मचने के बाद जब कृष्ण ने दाहिने हाथ में महज चार अंगुलियों के सहारे धनुष बाण चलाते हुए एकलव्य को देखा तो वे हैरत में पड़ गए क्योंकि उन्हें इस दृश्य पर विश्वास ही नहीं हुआ।