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CMO Viral Video: भ्रष्टाचार के आरोपी सीएमओ सिद्धार्थनगर पर स्वास्थ्य मंत्री क्यों हैं मेहरबान?

By टीम पर्दाफाश 
Updated Date

Siddharthnagar CMO Video: उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर के मुख्य चिकित्साधिकारी की करीब 20 दिन पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुई थी। इस वायरल वीडियो में मुख्य चिकित्साधिकारी समेत अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के भ्रष्टाचार की पोल खुल गयी थी। वायरल वीडियो में साफ सुना जा सकता है कि अस्पताल के नवीनीकरण लाइसेंस के लिए पांच लाख रुपये की डिमांड की जा रही है।

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सिद्धार्थनगर के मुख्य चिकित्साधिकारी के भ्रष्टाचार की पोल खुलने के बाद पीड़ित ने इसकी शिकायत सचिव स्वास्थ रंजन कुमार से की। पीड़ित की शिकायत के बाद सचिव स्वास्थ ने कार्रवाई का आश्वासन दिया, जिसके बाद डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक के पास सिद्धार्थनगर मुख्य चिकित्साधिकारी की शिकायत पहुंची लेकिन उन्होंने कार्रवाई की बजाए प्रमुख सचिव स्वास्थ्य के पास इसकी फाइल को वापस भेज दिया। ऐसे में अब सवाल उठना शुरू हो गया कि भ्रष्ट मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) पर आखिर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। आखिर डिप्टी सीएम भी इस भ्रष्ट CMO पर क्यो मेहरबान हैं?

सरकार की छवि हो रही धूमिल
सिद्धार्थनगर के मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) की वीडियो वायरल होने के बाद सरकार के दावों की पोल खुल गयी थी। हालांकि, दावा किया जा रहा था कि जल्द ही सीएमओ पर कार्रवाई होगी और उनको हटा दिया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। करीब 20 दिन से ज्यादा का समय हो गया लेकिन सीएओ पर कार्रवाई नहीं हुई ऐसे में अब कई तरह के सवाल उठने शुरू हो गए हैं।

जानिए क्या है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर से एक बेहद ही चौंकाने वाला वीडियो सामने आया था। यहां पर एक अस्पताल के नवीनीकरण लाइसेंस के लिए पांच लाख रुपये की मांग की गयी थी। स्वास्थ्य विभाग की पोल खोलने वाली कई वीडियो सामने आई, जिसमें सिद्धार्थनगर के मुख्य चिकित्साधिकारी वीके अग्रवाल समेत स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारियों की बातचीत साफ सुनी जा सकती है।

पर्दाफाश न्यूज के हाथ जो वीडियो और जानकारी हाथ लगी है उससे पता लग रहा है कि, सिद्धार्थनगर में स्थित AH Hospital के लाइसेंस नवीनीकरण के लिए डॉ. रणजीत कुमार से पांच लाख रुपये की डिमांड की जा रही है। इसमें पीड़ित की तरफ से कहा गया कि, उसने एंबुलेंस बेचकर डेढ़ लाख रुपये दिए हैं, जबकि अब और रुपये मांगे जा रहे हैं। रुपये नहीं देने पर अस्पताल के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं किया जा रहा है।

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