लखनऊ। उत्तरप्रदेश की समाजवादी पार्टी की पिछली सरकार में मुजफ्फरनगर में संप्रदायिक दंगा(Riots) हुआ था। जिस कारण सपा को पश्चिमी यूपी में 2017 के विधानसभा चुनाव में काफी नुकसान हुआ। लेकिन 2022 में राज्य के अगामी विधानसभा चुनाव में ये तस्वीर एक बार फिर बदलती नजर आ रही है। ऐसा परिवर्तन होने का प्रमुख कारण तीन कृषि कानूनों को लेकर के पश्चिम के किसानों की भाजपा(BJP) की सरकार से नराजगी। और दूसरा कारण सपा और रालोद का इस बार के चुनाव में गठबंधन।
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सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव(Akhilesh Yadav) और रालोद के जयंत चौधरी(Jayant Chaudhry) की नजर इस चुनाव में मुख्य रुप से मुस्लिम-दलित-जाट समीकरण को साधने पर है। इसके तहत योगेश वर्मा, कादिर राणा, शाहिद अखलाक, हरेंद्र मलिक और अब सिवालखास के पूर्व विधायक विनोद हरित को भी गठबंधन में शामिल किया गया है। मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद और बरेली मंडल के 14 जिलों की 71 सीटों पर इस समीकरण का दबदबा माना जाता है। इसी रणनीति के तहत सपा और रालोद के नेता लगातार काम कर रहे हैं। कभी कोई नेता सपा (SP)में शामिल हो रहा है तो कभी रालोद में। दोनों दलों की नजर बसपा और भाजपा के उन नाराज नेताओं पर हैं जो किसी न किसी कारण से या तो पार्टी से निष्कासित है या असंतुष्ट नजर आ रहे हैं।