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अमेरिका की भारत को दो टूक, बोला- पहले हमारे नागरिकों को वैक्सीनेशन जरूरी

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। भारत में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (सीआईआई) के सीईओ अदार पूनावाला ने हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से वैक्सीन के कच्चे माल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाने का अनुरोध किया था। पूनावाला के इस अनुरोध पर अब अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि बाइडन प्रशासन का पहला दायित्व अमेरिकी लोगों की आवश्यकताओं का ध्यान रखना है। विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि अमेरिका, भारत की जरूरतों को समझता है, लेकिन अमेरिकी लोग उसकी प्राथमिकता में है। पहले अमेरिकी लोगों को वैक्सीन मिलनी चाहिए। प्राइस ने कहा कि बाकी दुनिया के मुकाबले अमेरिकी जनता कोरोना से ज्यादा प्रभावित है। अमेरिकी जनता का वैक्सीनेशन ना सिर्फ अमेरिका बल्कि बाकी दुनिया के लिए भी लाभकारी होगा।

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अमेरिकी प्रतिक्रिया आने के कुछ घंटे बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर, रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया के साथ भारत में पूनावाला समेत वैक्सीन निर्माताओं से मिले और फार्मास्यूटिकल्स उद्योग के सामने आए इस संकट पर चर्चा की।

जयशंकर बोले- दुनिया की मदद करता है भारत

बैठक में विदेश मंत्रालय और रसायन और उर्वरक मंत्रालय और अमेरिका, जर्मनी और यूरोपीय संघ में भारतीय राजदूतों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे. इस बैठक के संदर्भ में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट किया कि हम अपने फार्मा उद्योग के सामने आये सप्लाई चेन के मुद्दों को हल करने के लिए पिछले कुछ हफ्तों से काम कर रहे हैं। आज जो अपडेट और इनसाइट्स मिले, इससे हमें काफी मदद मिली. हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि हमारी सप्लाई चेन कठिन वैश्विक स्थिति में अधिक से अधिक आसान हो। दुनिया को भारत का समर्थन करना चाहिए, क्योंकि भारत दुनिया की मदद करता है।
इस बैठक में सीरम इंस्टीट्यूट के पूनावाला के अलावा भारतबायोटेक, जाइडस कैडिला, डॉ. रेड्डीज लैब, बायोलॉजिकल ई लिमिटेड, इंडियन इम्युनोलॉजिकल्स लिमिटेड, पनासिया बायोटेक, कैडिला हेल्थकेयर, जेनोवा बायोफर्मासिटिकल, एचएलएल बायोटेक और हैफाइन बायो-फार्मास्युटिकल्स के अधिकारी मौजूद रहे।

वहीं बीते दिनों जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से बात की और इस बात पर जोर दिया कि उन्होंने श्स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की है। दूसरी ओर अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने हालिया सप्ताह में बाइडन प्रशासन के अधिकारियों के समक्ष भी यह मामला उठाया था। इसके अलावा दोनों देशों के अधिकारियों ने भारत एवं अमेरिका में मांग बढ़ने के मद्देनजर अहम सामग्री की आपूर्ति को सहज बनाने पर चर्चा की है।

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जानें कौन सा अमेरिकी कानून बन रहा है निर्यात में रोड़ा?

बता दें कि बाइडन और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने युद्धकाल में इस्तेमाल होने वाले ‘रक्षा उत्पादन कानून’ (डीपीए) को लागू कर दिया है जिसके तहत अमेरिकी कंपनियों के पास घरेलू उत्पादन के लिए कोविड-19 टीकों और निजी सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) के उत्पादन को प्राथमिकता देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है, ताकि अमेरिका में इस घातक महामारी से निपटा जा सके।

अमेरिका ने कोविड-19 टीकों का उत्पादन बढ़ा दिया है, ताकि वह चार जुलाई तक अपनी पूरी आबादी का टीकाकरण कर सके। ऐसे में इसके कच्चे माल के आपूर्तिकर्ता केवल घरेलू विनिर्माताओं को यह सामग्री उपलब्ध करा सकते हैं। हाल में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अदार पूनावाला ने कहा था कि टीकों का उत्पादन बढ़ाने के लिए अमेरिका को कच्चे माल के निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटाने की आवश्यकता है।

एसआईआई इस समय एस्ट्राजेनेका व ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित कोरोना वायरस रोधी टीका ‘कोविशील्ड’ बना रहा है। इसका इस्तेमाल केवल भारत में नहीं किया जा रहा, बल्कि इसे कई देशों में निर्यात भी किया जा रहा है। उन्होंने बाइडन के ट्विटर हैंडल को टैग करते हुए ट्वीट किया था, ‘अमेरिका के राष्ट्रपति, मैं अमेरिका के बाहर के टीका उद्योग की ओर से आपसे विनम्र अनुरोध करता हूं कि अगर वायरस को हराने के लिए हमें सचमुच एकजुट होना है, तो अमेरिका के बाहर कच्चे माल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाया जाए, ताकि टीकों का उत्पादन बढ़ सके। आपके प्रशासन के पास विस्तृत जानकारी है। एसआईआई दुनिया में कोविड-19 टीकों का सबसे बड़ा उत्पादक है। अमेरिका और भारत में से किसी ने भी यह नहीं बताया है कि भारत अमेरिका से किस कच्चे माल के निर्यात से प्रतिबंध हटाने का अनुरोध कर रहा है।

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