प्रयागराज। बाहुबली माफिया अतीक अहमद (Atiq Ahmed) और उसके भाई अशरफ की 15 अप्रैल शनिवार की रात को गोली मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस ने तीन आरोपियों को मौके पर पकड़ लिया। इस बीच 19 साल पहले का अतीक अहमद (Atiq Ahmed) का एक पुराना बयान सामने आया है। साल 2004 के लोकसभा चुनाव से पहले दिए गए एक इंटरव्यू में अतीक अहमद (Atiq Ahmed) ने कहा था कि ‘एनकाउंटर होगा या पुलिस मारेगी, या कोई अपनी बिरादरी का सिरफिरा। सड़क के किनारे पड़े मिलब… (पड़ा मिलूंगा)’।
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बता दें कि उस समय फूलपुर संसदीय क्षेत्र (Phulpur Parliamentary Constituency) से चुनाव लड़ रहे अतीक ने 2004 में टाइम्स ऑफ इंडिया को एक इंटरव्यू में ये बात कही थी। अतीक अहमद (Atiq Ahmed) तब तक माफिया बन चुका था। ऐसे ही एक इंटरव्यू में अतीक से पूछा गया था कि वो क्रिमिनल है तो उसके किस्से का अंत कैसे होगा? इसके जवाब में अतीक ने कहा था,सब को पता है अंजाम क्या होना है? कब तक टाला जा सकता है… (चुनाव लड़ना) इसकी ही जद्दोजहद है?
पंडित जवाहर लाल नेहरू की तरह हम भी हैं नैनी जेल में
लोकसभा चुनाव 2004 (Lok Sabha Elections 2004) के दौरान पत्रकारों से बातचीत में उसने अपनी तुलना देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू (Prime Minister Jawaharlal Nehru) से भी की थी। उनसे जब ये सवाल पूछा कि आपको पता है इस सीट से नेहरू सांसद चुने जा चुके हैं। तब अतीक ने जवाब दिया कि पंडित जी की तरह हम भी नैनी जेल में हैं। उन्होंने वहां किताबें लिखी हैं। हमें अपनी हिस्ट्रीशीट की वजह से जेल जाना पड़ा है।
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अतीक 13 अप्रैल को साबरमती जेल से लाया गया था
13 अप्रैल को जब उमेश पाल हत्याकांड में पूछताछ के लिए अतीक अहमद (Atiq Ahmed) को प्रयागराज लाया जा रहा था। तब अतीक अहमद (Atiq Ahmed) ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि हम सरकार से कहना चाहते हैं कि हम बिल्कुल मिट्टी में मिल गए हैं।अब हमारी औरतों और बच्चों को परेशान न करें।
असद और गुलाम का एनकाउंटर
उसी दिन झांसी में दोपहर में यूपी पुलिस के साथ एनकाउंटर में अतीक के बेटे असद और उसके साथी शूटर गुलाम मारे गए थे। इसके बाद अतीक ने असद की अंतिम यात्रा में शामिल होने की इजाजत मांगी लेकिन माफिया को परमिशन नहीं मिली।
पुलिस कस्टडी में अतीक और अशरफ की हत्या
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प्रयागराज में अतीक अहमद (Atiq Ahmed) की जब तीन लोगों ने गोली मारकर हत्या की। उससे कुछ क्षण पहले अतीक से जब पत्रकारों ने सवाल किया कि उन्हें उनके छोटे बेटे असद अहमद की अंतिम यात्रा में नहीं ले जाया गया तो उन्होंने कहा कि नहीं ले गए तो नहीं गए। ये उसके मरने से पहले आखिरी शब्द थे। इसके बाद ही अतीक अहमद (Atiq Ahmed) और अशरफ पर हत्यारों ने पुलिस कस्टडी मे फायरिंग तक दी। जिसमे दोनों की मौत हो गई।