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Big Decision of Supreme Court : आरक्षण देने के लिए जाति ही एकमात्र आधार नहीं, इस समुदाय को नहीं मिलेगा आरक्षण

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने तमिलनाडु के वन्नियार समुदाय (Vanniyar Community) को दिए गए 10.5 फीसदी के आरक्षण (Reservation)को गुरुवार को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी भी समुदाय को आरक्षण (Reservation) देने के लिए जाति ही एकमात्र आधार नहीं हो सकती है। वन्नियार समुदाय (Vanniyar Community) को तमिलनाडु (Tamil Nadu) में मोस्ट बैकवर्ड कम्युनिटी (Most Backward Community) माना जाता है। जस्टिस एल. नागेश्वर राव (Justice L. Nageswara Rao)  और बीआर गवई (BR Gavai) की बेंच ने मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) के 1 नवंबर को दिए गए फैसले को बरकरार रखते हुए यह आदेश दिया। हाई कोर्ट (High Court) के फैसले के खिलाफ तमिलनाडु सरकार (Government of Tamil Nadu) और पीएमके (PMK) ने याचिका दायर की थी।

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जस्टिस नागेश्वर राव (Justice L. Nageswara Rao)   ने कहा कि 2021 में तमिलनाडु सरकार की ओर से बनाया गया यह कानून संविधान की शक्तियों का बेजा इस्तेमाल (Abuse of the Powers of the Law Constitution) है। उन्होंने कहा कि इस बात का कोई आधार नहीं बनता है कि वन्नियार समुदाय (Vanniyar Community)   को अलग श्रेणी में रखा जाए। फरवरी 2021 में वन्नियार समुदाय (Vanniyar Community)  को मोस्ट बैकवर्ड कम्युनिटी (Most Backward Community)  घोषित करते हुए तमिलनाडु विधानसभा (Tamil Nadu Legislative Assembly) में 10.5 फीसदी आरक्षण देने का कानून पारित किया गया था। यह कोटा एमबीसी (Kota MBC) के लिए तय 20 फीसदी आरक्षण में से ही दिया जाना था। इस फैसले के तुरंत बाद इसे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  में चुनौती दी गई थी। तब शीर्ष अदालत ने यह कहते हुए सुनवाई से इनकार कर दिया था कि इस बारे में हाई कोर्ट फैसला देगा।

हाई कोर्ट ने आरक्षण (Reservation) को खारिज कर दिया था और फिर उसके आदेश को चुनौती दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने भी उसके फैसले को सही करार दिया है। हाई कोर्ट ने बीते साल अपने फैसले में कहा था कि एआईएडीएमके सरकार (AIADMK Government) की ओर से वन्नियार समुदाय (Vanniyar Community) को दिए गए 10.5 फीसदी आरक्षण का कोई आधार नहीं बनता है। अदालत ने कहा था कि यह आरक्षण देने के लिए ऐ्सा कोई डेटा नहीं है, जो यह साबित करता हो कि वन्नियार समुदाय (Vanniyar Community) अति पिछड़े वर्ग में हैं। इसके बाद तमिलनाडु सरकार और पीएमके ने हाई कोर्ट के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई थी।

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