नई दिल्ली। कोरोना महामारी के बीच एक बड़ा सवाल ये बना हुआ है कि वायरस की उत्पत्ति आखिर कहां से हुई थी? ज्यादातर देशों और विशेषज्ञों का मानना है कि ये चीन के वुहान शहर से फैला है। बता दें कि अमेरिका के सिएटल में फ्रेड हचिंसन कैंसर रिसर्च सेंटर में वायरोलॉजिस्ट और जीव विज्ञानी जेस ब्लूम का कहना है कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ सिक्वेंस से डिलीट किए गए कुछ डाटा को वापस पा लिया गया है।
पढ़ें :- विपक्ष के समर्थकों के वोट काटने का कुत्सित खेल सिर्फ़ एक चुनाव क्षेत्र में ही नहीं बल्कि हर जगह खेला जा रहा : अखिलेश यादव
ब्लूम ने डिलीट की गई फाइल गूगल क्लाउड से बरामद की है । रिपोर्ट में कहा गया है कि मीट के बाजार में वायरस की पहचान होने से पहले ही ये वुहान में फैल गया था। उन्होंने कहा कि डाटा हटाने के पीछे कोई वैज्ञानिक कारण नजर नहीं आता । इसलिए ऐसा लग रहा है कि वायरस की उत्पत्ति का पता ना चल सके इसलिए डाटा को डिलीट किया गया है।
चीनी शोधकर्ताओं को हटवाया डाटा
इस मामले में बुधवार को एनआईएच ने एक बयान जारी कर कहा कि अंतरराष्ट्रीय डाटाबेस से चीन में मिले कोरोना वायरस के शुरुआती सैंपल का डाटा हटा दिया गया है, जिसे चीन के ही शोधकर्ताओं के कहने पर स्टोर करके रखा गया था। चीन के शोधकर्ताओं ने डाटा को डिलीट करने के लिए कहा था। एजेंसी का कहना है कि शोधकर्ताओं को अधिकार है कि वह डाटा हटाने के लिए बोल सकें । वहीं चीन की इस हरकत के बाद लैब लीक थ्योरी को एक बार फिर बल मिल रहा है। हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलीवान ने कहा था अगर चीन कोरोना महामारी की उत्पत्ति की जांच में सहयोग नहीं करेगा तो वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अलग थलग पड़ जाएगा।